Mahalakshmi Vrat 2025: महालक्ष्मी व्रत का है विशेष महत्व, जानें पूजा विधि और महत्व
Mahalakshmi Vrat 2025: महालक्ष्मी व्रत भक्ति और समृद्धि का प्रतीक है. यह व्रत 31 अगस्त से शुरू होकर 14 सितंबर तक चलेगा. मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन में धन, सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. जानें महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि और इसका धार्मिक महत्व.
Mahalakshmi Vrat 2025: धन और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए हर वर्ष महालक्ष्मी व्रत रखा जाता है. यह व्रत केवल पूजा-पाठ का ही नहीं, बल्कि जीवन में आर्थिक स्थिरता और खुशहाली लाने का एक शक्तिशाली साधन माना जाता है. इस वर्ष महालक्ष्मी व्रत 31 अगस्त (रविवार) से प्रारंभ होकर 14 सितंबर (रविवार) तक मनाया जाएगा.
महालक्ष्मी व्रत 2025 की तिथियां
- व्रत की शुरुआत: 30 अगस्त 2025, रात 10:46 बजे
- पहले दिन चंद्र उदय: 1:11 PM
- व्रत का समापन: 14 सितंबर 2025
यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी से प्रारंभ होकर अश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक चलता है.
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महालक्ष्मी व्रत में करने योग्य कार्य
- पूजा की तैयारी – पूजा स्थल को स्वच्छ करें और गंगाजल का छिड़काव करें.
- मूर्ति स्थापना – लाल या पीले वस्त्र पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा अथवा तस्वीर स्थापित करें.
- अर्चना – प्रतिमा को गंगाजल या पंचामृत से स्नान कराकर पुष्प, फल और मिठाई अर्पित करें.
- कलश स्थापना – कलश में जल, सुपारी, हल्दी, चावल व नारियल रखकर सजाएं.
- मंत्र जाप – लक्ष्मी मंत्रों का जाप करने से पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है.
यदि कोई भक्त पूरे 15 दिन व्रत रखने में सक्षम नहीं है तो वह केवल पहले तीन या अंतिम तीन दिन का व्रत भी कर सकता है. इसे भी पूर्ण फलदायी माना गया है.
महालक्ष्मी व्रत का महत्व
महालक्ष्मी व्रत सिर्फ धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि भक्ति और श्रद्धा से जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का उपाय है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से धन संबंधी बाधाएं दूर होती हैं, आर्थिक स्थिरता आती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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