Magh Month 2026 Starting Date: इस दिन से आरंभ होगा जप-तप और मोक्ष का माघ महीना, जानें तिथि, महत्व और नियम

Magh Month 2026 Starting Date: सनातन धर्म में माघ मास को जप, तप और मोक्ष का विशेष काल माना गया है. इस पावन महीने में संगम स्नान, दान और भगवान विष्णु की पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

By Shaurya Punj | December 31, 2025 11:01 AM

Magh Month 2026 Starting Date: सनातन धर्म में हर महीने का अपना अलग आध्यात्मिक महत्व है, लेकिन माघ मास को साधना, तप और मोक्ष प्राप्ति के लिए विशेष रूप से श्रेष्ठ माना गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पावन महीने में देवता पृथ्वी लोक पर आते हैं और प्रयागराज के संगम तट पर दिव्य स्नान करते हैं. यही कारण है कि माघ मास में स्नान, दान, जप, तप और कल्पवास को अत्यंत पुण्यदायी बताया गया है.

कब से शुरू हो रहा है माघ मास 2026?

पंचांग के अनुसार, माघ मास 4 जनवरी 2026 से शुरू होकर 1 फरवरी 2026 तक रहेगा. इस पूरे महीने भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि माघ मास में श्रीहरि की उपासना करने से व्यक्ति को जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति यानी मोक्ष की प्राप्ति होती है.

माघ मास का धार्मिक महत्व

शास्त्रों में कहा गया है कि माघ माह में स्नान और दान करने से साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. विशेष रूप से माघी पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना या संगम में स्नान करना अत्यंत फलदायी माना गया है. इसी महीने प्रयागराज में माघ मेले की शुरुआत होती है, जहां संगम स्नान को पापों से मुक्ति का साधन बताया गया है. मान्यता है कि गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यदि कोई साधक माघ मास में प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करता है, तो उसे करोड़ों यज्ञ करने के बराबर पुण्य फल मिलता है.

पूरे माघ का पुण्य कैसे मिले?

यदि किसी कारणवश पूरे माघ महीने प्रयागराज में रहकर संगम स्नान या कल्पवास करना संभव न हो, तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है. शास्त्रों में कहा गया है कि यदि व्यक्ति केवल एक दिन या तीन दिन भी श्रद्धा, नियम और विश्वास के साथ जप-तप, व्रत और स्नान कर ले, तो उसे पूरे माघ मास के बराबर पुण्य फल प्राप्त हो जाता है.

डिस्क्लेमर: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है.