Magh Mela 2026: नए साल में इस दिन से शुरू होगा माघ मेला, जानें शाही स्नान की पूरी डिटेल

Magh Mela 2026: माघ मास में प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर लगने वाला माघ मेला आस्था, तप और साधना का पावन पर्व है. कुंभ के छोटे रूप माने जाने वाले इस मेले में संगम स्नान से पाप मुक्ति और मोक्ष की कामना की जाती है. 2026 में भी श्रद्धालुओं की आस्था का महासंगम देखने को मिलेगा.

By Shaurya Punj | December 26, 2025 12:54 PM

Magh Mela 2026: माघ मास में हर साल त्रिवेणी संगम पर लगने वाला माघ मेला कुंभ का छोटा रूप माना जाता है. गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर आयोजित यह मेला आध्यात्मिक शुद्धि, तप, दान और साधना का विशेष अवसर देता है. मान्यता है कि माघ मेले में संगम स्नान करने से पापों का क्षय होता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है. इसकी सबसे बड़ी पहचान कल्पवास है, जिसमें श्रद्धालु पूरे एक महीने तक संयमित जीवन जीते हुए स्नान-दान और साधना करते हैं. समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा यह पर्व प्रयागराज को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है.

कब से कब तक लगेगा माघ मेला 2026

परंपरा के अनुसार माघ मेले की शुरुआत पौष पूर्णिमा से होती है और समापन महाशिवरात्रि पर. वर्ष 2026 में माघ मेला 3 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से 15 फरवरी (महाशिवरात्रि) तक आयोजित होगा. इस अवधि में कई प्रमुख स्नान पर्व पड़ेंगे, जिन्हें शाही स्नान का महत्व प्राप्त है.

माघ मेला 2026 के प्रमुख स्नान पर्व

  • पौष पूर्णिमा स्नान: 3 जनवरी 2026
  • मकर संक्रांति स्नान: 14 जनवरी 2026
  • मौनी अमावस्या स्नान: 18 जनवरी 2026
  • बसंत पंचमी स्नान: 23 जनवरी 2026
  • माघ पूर्णिमा स्नान: 1 फरवरी 2026
  • महाशिवरात्रि (समापन स्नान): 15 फरवरी 2026

श्रद्धालुओं के लिए 8 किलोमीटर लंबा स्नान घाट

श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस बार 8 किलोमीटर लंबा अस्थायी स्नान घाट तैयार किया जा रहा है. गंगा-यमुना के किनारे बने इन घाटों पर बैरिकेटिंग होगी, ताकि गहरे पानी में जाने से रोका जा सके. सीमेंट की बोरियों में रेत भरकर घाटों को सुरक्षित किया जाएगा.

मेला प्रशासन की तैयारी

प्रशासन के मुताबिक, लंबा घाट बनने से संगम नोज पर दबाव कम होगा. प्रमुख स्नान पर्वों पर भीड़ को अलग-अलग घाटों की ओर डायवर्ट किया जाएगा, जिससे सुचारु स्नान और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.

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माघ मेले की खास पहचान

मेले में अखाड़ों के शिविर, देशभर से आए साधु-संतों की तपस्थली, प्रवचन, कथाएं और यज्ञ आकर्षण का केंद्र रहते हैं. देसी खानपान और ग्रामीण संस्कृति का अनुभव लेने वाले यात्रियों के लिए यह मेला भीड़ से दूर आध्यात्मिक भारत को महसूस करने का अनूठा अवसर देता है.