Karwa Chauth Kahani: यहां पढ़िए करवा चौथ की पौराणिक कहानी, जानिए चन्द्र दर्शन के बाद ही क्यों होता है व्रत पूरा

Karwa Chauth Kahani: क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ का व्रत सिर्फ सुहाग का प्रतीक ही नहीं, बल्कि एक प्राचीन कथा से भी जुड़ा हुआ है? आखिर क्यों महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और चांद निकलने के बाद ही जल ग्रहण करती हैं? आइए जानते हैं इस खास व्रत के पीछे की कहानी और इसका धार्मिक महत्व.

By JayshreeAnand | October 5, 2025 1:24 PM

Karwa Chauth Kahani: करवा चौथ का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की पूजा करती हैं. पूरे दिन बिना खाए-पिए पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. शाम को जब चांद निकलता है, तो महिलाएं छलनी से चांद और फिर अपने पति का दर्शन कर व्रत खोलती हैं.

करवा चौथ की पौराणिक कहानी

एक समय की बात है, एक साहूकार की सात बेटियां और एक बेटा था. सभी बहनों ने करवा चौथ का व्रत रखा, लेकिन सबसे छोटी बहन भूख से व्याकुल हो उठी. उसका भाई उसे तंग करने के लिए पहाड़ी पर दीपक जलाकर बोला — “देखो, चांद निकल आया है.” बहन ने भाई की बात पर विश्वास कर व्रत तोड़ लिया. इसके परिणामस्वरूप उसके पति की मृत्यु हो गई. वह रोती-बिलखती देवी पार्वती की शरण में गई. देवी ने कहा — “तुमने अधूरा व्रत किया है, इसलिए यह दुख मिला. अब पूरे विधि-विधान से व्रत करो.” बहन ने पूरे वर्ष श्रद्धा से व्रत किया, जिससे देवी प्रसन्न हुईं और उसके पति को जीवनदान मिला.

चन्द्र दर्शन के बाद ही क्यों होता है व्रत पूरा

करवा चौथ के व्रत में महिलाएं चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं, क्योंकि चांद को सौंदर्य, शांति और लंबी आयु का प्रतीक माना गया है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, चंद्र देव को पति की आयु बढ़ाने वाला और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि देने वाला देवता माना गया है. इसलिए महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर, उसके दर्शन के बाद ही व्रत तोड़ती हैं, ताकि उनके पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और दांपत्य जीवन में हमेशा प्रेम बना रहे.

करवा चौथ के दिन क्यों सुनना चाहिए कथा

करवा चौथ के दिन व्रत कथा सुनना बहुत जरूरी माना गया है, क्योंकि इससे व्रत पूर्ण होता है और इसका फल संपूर्ण रूप से प्राप्त होता है. कथा सुनने से देवी पार्वती और भगवान शिव की कृपा मिलती है, जिससे पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. साथ ही, यह कथा सिखाती है कि सच्ची श्रद्धा से किया गया व्रत हमेशा सफल होता है. इसलिए करवा चौथ की पूजा में व्रत कथा सुनना प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक माना गया है.

चंद्र दर्शन का क्या महत्व है?

करवा चौथ में चंद्र दर्शन का आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है. हिंदू धर्म में चंद्रमा को शीतलता, प्रेम, स्थिरता और आयु का प्रतीक माना गया है. जब महिलाएं व्रत के बाद चंद्रमा का दर्शन कर अर्घ्य देती हैं, तो यह उनके जीवन में शांति, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है. धार्मिक मान्यता है कि चंद्र देव भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान हैं, इसलिए उनकी पूजा से शिव-पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है.

छन्नी से क्यों देखा जाता है पति का चेहरा

छन्नी में कई छोटे-छेद होते हैं. जब महिलाएं इसे चांद की ओर रखकर देखती हैं, तो कई छाया बनते हैं. फिर उसी छन्नी से अपने पति का चेहरा देखा जाता है. मान्यता है कि जितने प्रतिबिंब दिखाई देते हैं, पति की आयु उतनी ही बढ़ती है. इस रस्म के बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है.

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