Kajari Teej 2025: कजरी तीज व्रत के दौरान इन गलतियों से रहें दूर, कम हो सकता है पुण्य

Kajari Teej Vrat 2025: कजरी तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य और दांपत्य सुख का प्रतीक है. इस दिन कुछ कार्य ऐसे हैं, जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए, वरना व्रत का पूरा फल नहीं मिलता. आइए जानते हैं कजरी तीज के दिन किन बातों का विशेष ध्यान रखें.

By Shaurya Punj | August 12, 2025 7:44 AM

Kajari Teej 2025: आज 12 अगस्त 2025 को कजरी तीज का व्रत रखा जा रहा है. कजरी तीज का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है. इस दिन महिलाएं भगवान शिव और मां पार्वती की विधिवत पूजा करती हैं तथा अपने पति की लंबी उम्र, वैवाहिक सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं. मान्यता है कि श्रद्धा, नियम और परंपरा के साथ किया गया यह व्रत कई गुना फल प्रदान करता है.

व्रत में किन गलतियों से बचें

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कजरी तीज के दिन कुछ कार्य अशुभ माने जाते हैं. जैसे—किसी का अपमान करना, विवाद या झगड़ा करना, अपवित्र वस्तु का उपयोग करना आदि. इस दिन क्रोध, कटु वचन और दूसरों की बुराई से भी बचना आवश्यक है, अन्यथा व्रत का पुण्य कम हो सकता है.

कजरी तीज पर सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए सुनें यह कथा

इस दिन क्या न खाएं

व्रत के दौरान अनाज, नमक और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है. विशेष रूप से मांस, मछली, अंडा, लहसुन और प्याज जैसी वस्तुओं से परहेज करना चाहिए. पूरे दिन निर्जल या फलाहार व्रत रखने के बाद रात में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करके और पूजा सम्पन्न करने के बाद ही व्रत का पारण करें.

पूजा विधि में सावधानी

कजरी तीज के दिन पूजा-विधि में किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें. भगवान शिव को बेलपत्र, दूध, दही, भांग और धतूरा तथा माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें. इसके साथ ही व्रत कथा सुनना या पढ़ना इस अनुष्ठान का महत्वपूर्ण भाग है, जिसे छोड़ना अशुभ माना जाता है.

धार्मिक परंपराओं का महत्व

कजरी तीज केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और आपसी सम्मान को सुदृढ़ करने का अवसर है. इस दिन के नियमों और परंपराओं का पालन करने से व्रत सफल होता है और परिवार में सुख-शांति तथा समृद्धि का वास होता है.

घर लौटकर ब्राह्मण ने सत्तू पत्नी को दिया. विधि-विधान से पूजा हुई और रात में चांद को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया गया. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से घर में सुख-शांति आती है और सभी संकट दूर हो जाते हैं.