Hartalika Teej 2025 Step by Step Vrat Vidhi: हरितालिका तीज व्रत की स्टेप बाय स्टेप विधि देखें यहां, जानें शुभ मुहूर्त

Hartalika Teej 2025 Step by Step Vrat Vidhi: हरितालिका तीज व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. यह व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए तथा अविवाहित कन्याओं द्वारा मनचाहे वर की प्राप्ति हेतु रखा जाता है. जानें यहां स्टेप बाय स्टेप व्रत विधि और शुभ मुहूर्त की पूरी जानकारी.

By Shaurya Punj | August 25, 2025 8:35 AM

Hartalika Teej 2025 Step by Step Vrat Vidhi: हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज व्रत रखा जाता है. यह व्रत सुहाग की रक्षा और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और दांपत्य सुख के लिए इस कठोर व्रत का पालन करती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति की कामना से इसे करती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तीज को गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है.

कब है हरितालिका तीज व्रत ?

इस वर्ष हरितालिका तीज व्रत 26 अगस्त को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 25 अगस्त को प्रातः 11:39 बजे प्रारंभ होगी और 26 अगस्त दोपहर 12:39 बजे तक विद्यमान रहेगी.

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हरितालिका तीज व्रत विधि (संक्षिप्त और सरल रूप में)

हरितालिका तीज का व्रत सुहागिन एवं अविवाहित महिलाएं अपने पति अथवा भावी जीवनसाथी की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती हैं. यह व्रत कठोर माना जाता है क्योंकि इसमें निर्जला उपवास रखना होता है. इसकी विधि इस प्रकार है—

व्रत विधि स्टेप बाय स्टेप

  • प्रातः स्नान और संकल्प – सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव-पार्वती का स्मरण करते हुए निर्जला उपवास का संकल्प लें.
  • पूजन स्थल की तैयारी – घर के पवित्र स्थान को सजाकर वहां भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
  • श्रृंगार और पूजन सामग्री – माता पार्वती को सुहाग-सामग्री अर्पित करें. साथ ही बेलपत्र, फूल, दीप, धूप, फल और मिठाई चढ़ाएं.
  • व्रत कथा का श्रवण – पूजा के दौरान हरितालिका तीज व्रत कथा का पाठ अथवा श्रवण करें और अंत में आरती करें.
  • रात्रि जागरण – इस दिन महिलाएं पूरी रात भजन-कीर्तन और पारंपरिक गीतों के माध्यम से माता पार्वती की आराधना करती हैं.
  • व्रत पारण – अगले दिन ब्रह्ममुहूर्त में पुनः स्नान कर भगवान शिव-पार्वती को जल अर्पित करें. फिर व्रत का पारण करें और दान-दक्षिणा देकर पुण्य प्राप्त करें.