Govardhan Puja 2025: दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा, जानें इस दिन क्या है अन्नकूट का महत्व

Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा 2025: दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण को अन्न, मिठाई और व्यंजन अर्पित किए जाते हैं. अन्नकूट का महत्व है कि यह प्रकृति, पशु और अन्न के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है, साथ ही खुशहाली और समृद्धि लाता है

By Neha Kumari | October 17, 2025 5:59 PM

Govardhan Puja 2025: दिवाली खत्म होते ही पूरे देश में अगले ही दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है. इसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है. यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के उस चमत्कार की याद दिलाता है, जब उन्होंने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया था और गोकुलवासियों को मूसलाधार बारिश से बचाया था. इस साल गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी. इस दिन लोग भगवान कृष्ण को तरह-तरह के अन्न, मिठाई, सब्जियां और व्यंजन अर्पित करते हैं और उनकी कृपा एवं आशीर्वाद के लिए धन्यवाद करते हैं.

गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है?

कहानी के अनुसार, जब भगवान इंद्र ने गोकुल में लगातार बारिश शुरू कर दी थी, तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत अपनी छोटी उंगली पर उठाकर पूरे गांव की रक्षा की थी. तभी से यह दिन भगवान कृष्ण की भक्ति और उनकी करुणा का प्रतीक बन गया है.

गोवर्धन पूजा 2025 मुहूर्त कितने बजें से शुरू होगा? 

इस साल प्रातःकालीन पूजा सुबह 06:26 बजे से 08:42 बजे तक की जाएगी. वहीं सायंकालीन पूजा शाम 03:29 बजे से 05:44 बजे तक होगी. इन शुभ समयों में पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है.

पूजा के मुख्य अनुष्ठान समय क्या किया जाता हैं?

इस दिन गायों की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि हिंदू धर्म में गाय को मां लक्ष्मी का रूप माना गया है. लोग गाय, बछड़ा और बैल को हल्दी, रोली और फूलों से सजाकर उनकी आरती करते हैं. उसके बाद उन्हें घर का पहला भोजन खिलाया जाता है.

अन्नकूट का महत्व क्या है?

गोवर्धन पूजा का सबसे खास हिस्सा है ‘अन्नकूट’. इस दिन घरों या मंदिरों में गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाया जाता है, अक्सर गोबर या अनाज से. फिर उस पर भगवान को जल, पुष्प, दीपक, मिठाई, फल और दक्षिणा अर्पित की जाती है. इस दिन दूध, दही, घी और मक्खन जैसी चीजें खाने को भी शुभ माना जाता है.

गोवर्धन पूजा सिर्फ पूजा-पाठ का दिन नहीं है, बल्कि यह प्रकृति, पशु और अन्न के प्रति आभार जताने का दिन भी है. इस दिन भगवान कृष्ण से जीवन में खुशहाली, समृद्धि और शांति की कामना की जाती है.

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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ

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