First day of Navratri 2025: कल है नवरात्रि का पहला दिन, जानें मां शैलपुत्री की पूजा की सही विधि, मंत्र और प्रिय भोग

First day of Navratri 2025: 22 सितंबर 2025 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. पहले दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मान्यता है कि उनकी उपासना से दुख-दर्द दूर होते हैं और जीवन में शक्ति व शांति का वास होता है. आइए जानते हैं मां शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र और प्रिय भोग.

By JayshreeAnand | September 21, 2025 9:17 AM

First day of Navratri 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बेहद पवित्र माना जाता है. इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है. इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है. माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और वृषभ (बैल) पर सवार रहती हैं. उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल होता है. मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में साहस, पवित्रता की भावना उत्पन्न होती है. साथ ही भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उन पर माता की विशेष कृपा बनी रहती है. पहले दिन की पूजा के दौरान शुभ रंग, भोग, मंत्र और कथा का विशेष महत्व होता है.

मां शैलपुत्री की पूजा विधि इस प्रकार है –

1. प्रातःकाल स्नान और शुद्ध वस्त्र

पहली पूजा ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्योदय से पहले करना अच्छा माना जाता है. स्नान कर साफ और हल्के रंग के कपड़े पहनें.

2. पूजन स्थल की तैयारी

घर के पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें. फिर एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर उस पर मां शैलपुत्री की मूर्ति या फोटो स्थापित करें.

3. कलश स्थापना

पूजा की शुरुआत कलश स्थापना से करें. यह नवरात्रि का मुख्य अंग है. परिवार के सभी सदस्य मिलकर विधिपूर्वक कलश रखें.

4. ध्यान और मंत्र जप

माता का ध्यान करें और मंत्र “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” का जप करें. साथ ही अन्य स्तुतियों जैसे –

वंदे वाञ्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्।

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

का उच्चारण करें. इसी समय नवरात्रि व्रत का संकल्प भी लिया जाता है.

5. षोडशोपचार पूजन

मां शैलपुत्री की पूजा पारंपरिक षोडशोपचार विधि से करें. इसमें जल, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, गंध और नैवेद्य का अर्पण शामिल है.

6. फूल और कुमकुम अर्पण

मां को विशेष रूप से सफेद या पीले फूल अर्पित करें. साथ ही, कुमकुम से तिलक लगाकर उनकी पूजा करें.

7. दीप और धूप

देवी के सामने धूप जलाएं और घी के दीपक प्रज्वलित करें. मान्यता है कि पांच दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति आती है.

8. आरती और पाठ

पूजा के बाद मां शैलपुत्री की आरती करें. चाहें तो दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती या देवी स्तुति का पाठ करें. इससे माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

9. जयकारे और भोग

पूरे परिवार के साथ “जय माता दी” के जयकारे लगाएं. तत्पश्चात माता को भोग लगाकर सभी में प्रसाद बांटें.

10. शाम की आरती

शाम के समय भी दीपक और धूप के साथ फिर से मां शैलपुत्री की आरती करें और मंत्रों का जाप करें.

मां शैलपुत्री का प्रिय भोग

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए शुद्ध और सात्विक भोग चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि मां को गाय के शुद्ध घी से बनी खीर बेहद प्रिय है. इसके अलावा आप उन्हें सफेद रंग की मिठाई (जैसे रसगुल्ला, मलाई बर्फी या मिश्री) भी अर्पित कर सकते हैं. पूजा संपन्न होने के बाद माता को अर्पित भोग को परिवार और भक्तजन प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. इससे घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता बनी रहती है.

मां शैलपुत्री मंत्र

मां शैलपुत्री का ध्यान और जप करने से मन को शांति और आत्म शक्ति प्राप्त होती है. नवरात्रि के पहले दिन इस मंत्र का जप करना शुभ फलदायी माना गया है –

“या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”

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