Dharmendra Death, Sikh Funeral Rites: नहीं रहे ही-मैन धर्मेंद्र, सिख परंपरा में कैसे होता है अंतिम संस्कार? जानें पूरी प्रक्रिया
Dharmendra death: हिंदी सिनेमा के ही-मैन धर्मेंद्र अब दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. 24 नवंबर को 89 साल की उम्र में उनके निधन की खबर ने पूरे देश को दुख में डूबो दिया. उनके अंतिम संस्कार से जुड़े सिख रीति-रिवाज, अरदास और धार्मिक मान्यताएं जानना हर प्रशंसक को जरूरी लगता है.
Dharmendra death, Sikh funeral rites: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के ही-मैन धर्मेंद्र का आज 24 नवंबर 2025 को 89 साल की उम्र में निधन हो गया, पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके इस बात की पुष्टि की है. उन्होंने अपने पोस्ट पर धर्मेंद्र को श्रद्धांजलि देते हुए भारतीय सिनेमा में एक युग का अंत कहा है. सुबह उनके घर पहुंची एंबुलेंस ने फैंस को पहले ही चिंतित कर दिया था. इससे पहले उनकी मौत की अफवाह फैल चुकी थी, लेकिन अब इस खबर ने उनके चाहने वालों को गहरे सदमे में डाल दिया है.
The passing of Dharmendra Ji marks the end of an era in Indian cinema. He was an iconic film personality, a phenomenal actor who brought charm and depth to every role he played. The manner in which he played diverse roles struck a chord with countless people. Dharmendra Ji was…
— Narendra Modi (@narendramodi) November 24, 2025
सिख धर्म में ऐसे किए जाते हैं अंतिम संस्कार
सिख परंपरा के अनुसार, अंतिम संस्कार से पहले मृतक के शरीर को स्नान करवाया जाता है. इसके बाद उन्हें पंच-ककार—केश, कंघा, कृपाण, कड़ा और कटार—से सजाया जाता है. यह पांच प्रतीक सिख धर्म में बेहद पवित्र माने जाते हैं. इसके बाद परिवार के लोग ‘वाहे गुरू’ का नाम जपते हुए शव को श्मशान स्थल तक ले जाते हैं.
महिलाओं की होती है बराबर की भागीदारी
जहां कई धर्मों में महिलाएं श्मशान नहीं जातीं, वहीं सिख परंपरा में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है. महिलाएं भी अंतिम यात्रा और संस्कार का हिस्सा बनती हैं. सिख धर्म समानता और सहभागी परंपरा को महत्व देता है.
अरदास और 10 दिन का पाठ
श्मशान से लौटने के बाद सभी लोग स्नान करते हैं. शाम को अरदास की जाती है और फिर घर में गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ शुरू होता है, जो 10 दिनों तक चलता है. इस दौरान उपस्थित लोगों को कड़हा प्रसाद बांटा जाता है. दाह संस्कार के बाद राख को प्रायः कीरतपुर साहिब में प्रवाहित किया जाता है.
सिख धर्म की मूल बातें
सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक देव जी ने की. दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु ग्रंथ साहिब को ही अंतिम और शाश्वत गुरु घोषित किया. आज सिख परंपरा में वही धर्म का सर्वोच्च मार्गदर्शक ग्रंथ है.
