Devshayani Ekadashi 2025 Date: इस दिन से शुरू होगा चातुर्मास,जानें कब मनाई जाएगी देवशयनी एकादशी
Devshayani Ekadashi 2025 Date: देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का शुभारंभ होता है, जिसे सनातन धर्म में अत्यंत पावन माना गया है. इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं. चार माह तक भगवान के निद्रा में रहने के कारण इस अवधि में सभी मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. जानें वर्ष 2025 में देवशयनी एकादशी कब है और इसका धार्मिक महत्व क्या है.
Devshayani Ekadashi 2025 Date: देवशयनी एकादशी को आषाढ़ शुक्ल एकादशी या हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. यह एकादशी हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और अगले चार माह तक वे ब्रह्मांडीय कार्यों से विरक्त रहते हैं. इस चार महीने की अवधि को चातुर्मास कहा जाता है, जिसमें विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. इस वर्ष देवशयनी एकादशी किस तिथि को मनाई जाएगी, जानें आगे.
इस दिन मनाई जाएगी देवशयनी एकादशी
वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ इस वर्ष 5 जुलाई को शाम 6 बजकर 58 मिनट पर होगा, जो 6 जुलाई को शाम 9 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. सनातन परंपरा में सूर्योदय तिथि को ही व्रत और पर्व का दिन माना जाता है. इसी कारण देवशयनी एकादशी 2025 का व्रत 6 जुलाई, शनिवार को रखा जाएगा. मान्यता है कि इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत होती है, जिसमें भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीने तक शुभ कार्यों पर विराम लग जाता है.
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देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानी देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं. इसके साथ ही चार माह तक वे ब्रह्मांडीय गतिविधियों से विरक्त रहते हैं. इस दौरान संसार के संचालन की जिम्मेदारी भगवान शिव को सौंपी जाती है. माना जाता है कि इन चार महीनों में भगवान विष्णु निद्रा में रहते हैं, इसलिए विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. फिर देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के जागते ही शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है.
