Dev Uthani Ekadashi 2025: कब है देवउठनी एकादशी? जानें तारीख, महत्व और तुलसी-शालिग्राम विवाह की पौराणिक कथा

Dev Uthani Ekadashi 2025: क्या आप जानते हैं कि कब से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है? देव उठनी एकादशी उसी विशेष दिन को कहा जाता है, जब भगवान विष्णु चतुर्मास की योगनिद्रा से जागते हैं. आइए, इस आर्टिकल में जानते हैं तिथि, महत्व और इससे जुड़ी पौराणिक कथा.

By JayshreeAnand | October 26, 2025 8:19 AM

Dev Uthani Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी एकादशी के नाम से मनाया जाता है. इसे ‘देवों की नींद से जागने वाली एकादशी’ भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने लंबी निद्रा (चतुर्मास) से जागते हैं. इसलिए इस दिन से हिंदू धर्म में विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों का आरंभ होता है, जो चतुर्मास के दौरान रोक दिए जाते हैं.

देव उठनी एकादशी 2025 की तारीख और समय

सामान्य लोग: 01 नवंबर 2025

वैष्णव समुदाय: 02 नवंबर 2025 (व्रत)

दिनचर्या और शुभ मुहूर्त

सूर्योदय: 06:33 AM

सूर्यास्त: 05:36 PM

चंद्र उदय: 02:49 PM

चंद्रास्त: 02:46 AM (अगली सुबह)

ब्रह्म मुहूर्त: 04:50 – 05:41 AM

विजय मुहूर्त: 01:55 – 02:39 PM

निशीथा मुहूर्त: 11:39 PM – 12:31 AM

संध्या काल: 05:36 – 06:02 PM

तुलसी-शालिग्राम विवाह का महत्व और पौराणिक कथा

ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार, तुलसी (वृंदा) एक असुर शंखचूड की पत्नी थीं. शंखचूड अधार्मिक था, लेकिन अपनी पत्नी की पवित्रता की वजह से वह देवताओं के लिए अजेय हो गया. भगवान विष्णु ने शंखचूड का रूप धारण कर तुलसी को छूआ, जिससे उनकी पवित्रता टूट गई और शंखचूड की शक्ति कम हो गई. इसके बाद भगवान शिव ने शंखचूड का वध किया. तुलसी ने क्रोधित होकर भगवान विष्णु को शालिग्राम पत्थर में बदलने का शाप दिया. भगवान विष्णु ने इस शाप को स्वीकार किया और तुलसी को वचन दिया कि वे हमेशा उनके साथ पृथ्वी पर रहेंगी. तब से यह परंपरा चली आ रही है कि तुलसी और शालिग्राम का विवाह कार्तिक शुक्ल एकादशी को किया जाता है. यह विवाह करने से भक्तों को अत्यधिक धार्मिक पुण्य और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है. आज भी नेपाल के गंडकी नदी के किनारे तुलसी के पौधे और शालिग्राम पत्थर पाए जाते हैं, जिन्हें भक्त पूजा में उपयोग करते हैं.

इस दिन से होती है शुभ कार्यों की शुरुआत

देव उठनी एकादशी न केवल भगवान विष्णु की पूजा का समय है, बल्कि यह शुभ कार्यों की शुरुआत का संकेत भी देती है. इस दिन विवाह, गृह प्रवेश और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करना अत्यंत शुभ माना जाता है. तुलसी-शालिग्राम विवाह की कथा हमें सिखाती है कि भक्ति, पवित्रता और नियमों का पालन हमेशा पुण्यकारी होता है.

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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा  

ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ

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