Anant Chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी पर सुकर्मा और रवि योग का शुभ संयोग, जानें मिलेगा क्या शुभ फल
Anant Chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी 2025 का दिन इस बार और भी खास रहने वाला है क्योंकि इस तिथि पर सुकर्मा योग और रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्रीहरि विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने पर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.
Anant Chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी का दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप को समर्पित है और इस दिन गणपति विसर्जन भी होता है. इस साल, अनंत चतुर्दशी पर कई अत्यंत शुभ योगों का अद्भुत संयोग बन रहा है, जो इस दिन की महत्ता को कई गुना बढ़ा देता है. धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र के साथ सुकर्मा रवि योग का बनना एक ऐसा ही दुर्लभ संयोग है, जो आपकी कामना सिद्धि के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है.
अनंत चतुर्दशी कब है
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है. वर्ष 2025 में यह पर्व 6 सितंबर, शनिवार को मनाया जाएगा. अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है और आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है.
शुभ योगों का महत्व
धनिष्ठा-शतभिषा नक्षत्र: धनिष्ठा नक्षत्र को धन, वैभव और सफलता का प्रतीक माना जाता है, जबकि शतभिषा नक्षत्र अध्यात्म, आरोग्य और मानसिक शांति से जुड़ा है. इन दोनों का योग मिलकर किसी भी पूजा या अनुष्ठान के लिए एक प्रबल सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है.
सुकर्मा रवि योग: यह योग सूर्य और चंद्रमा की विशेष स्थिति से बनता है और इसे बहुत ही शुभ माना जाता है. इस योग में किए गए सभी शुभ कार्य और कर्मों का फल कई गुना बढ़ जाता है. इसलिए इस दिन की गई पूजा का प्रभाव विशेष रूप से तीव्र होता है.
कामना सिद्धि के लिए श्रीविष्णु पूजन विधि
- इन शुभ योगों में अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आप भगवान विष्णु का पूजन इस प्रकार कर सकते हैं:
- स्नान और संकल्प: अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें. इसके बाद हाथ में जल लेकर अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें.
- पूजा की तैयारी: पूजा स्थल पर एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं और भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. प्रतिमा पर गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें.
- अनंत सूत्र की पूजा: एक रेशमी या सूती धागे में हल्दी या कुमकुम लगाकर 14 गांठें लगाएं. इस अनंत सूत्र को भगवान विष्णु के सामने रखकर इसकी धूप, दीप और नैवेद्य से पूजा करें.
- मंत्र जाप और अर्पण: भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल, चंदन, केसर और पीला मिष्ठान (जैसे बेसन के लड्डू) अर्पित करें. फिर, ‘ॐ अनंताय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करते हुए अपनी मनोकामनाएं मन में दोहराएं.
- सूत्र धारण: पूजा समाप्त होने के बाद इस अनंत सूत्र को अपनी दायीं बाजू पर धारण करें. यह सूत्र रक्षा, सुख-समृद्धि और अनंत फल की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है.
