खुद का मकान बनाने में मंगल का बली होना जरूरी

श्रीपति त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य एक सुंदर भवन बनाना हर व्यक्ति के जीवन की चाह होती है. व्यक्ति किसी-न-किसी तरह से जोड़-तोड़ कर घर बनाने का प्रयास करता ही है. कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं, जो जीवन भर प्रयास करते हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से अपना घर नहीं बना पाते. वहीं कई लोग अपनी मेहनत द्वारा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 19, 2019 9:06 AM
श्रीपति त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य
एक सुंदर भवन बनाना हर व्यक्ति के जीवन की चाह होती है. व्यक्ति किसी-न-किसी तरह से जोड़-तोड़ कर घर बनाने का प्रयास करता ही है. कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं, जो जीवन भर प्रयास करते हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से अपना घर नहीं बना पाते. वहीं कई लोग अपनी मेहनत द्वारा एक से अधिक संपत्ति बनाने में कामयाब हो जाते हैं. हम देखेंगे कि जन्म कुंडली के ऐसे कौन से योग हैं, जो मकान अथवा भूमि अर्जित करने में सहायक होते हैं.
स्वयं की भूमि अथवा मकान बनाने के लिए चतुर्थ भाव का बली होना आवश्यक होता है, तभी व्यक्ति घर बना पाता है. दरअसल, मंगल को भूमि का और चतुर्थ भाव का कारक माना जाता है, इसलिए अपना मकान बनाने के लिए मंगल की स्थिति कुंडली में शुभ तथा बली होनी चाहिए.
मंगल का संबंध जब जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव से बनता है तब व्यक्ति अपने जीवन में कभी-न-कभी खुद की प्रॉपर्टी अवश्य बनाता है. मंगल यदि अकेला चतुर्थ भाव में स्थित हो तब अपनी प्रॉपर्टी होते हुए भी व्यक्ति को उससे कलह ही प्राप्त होते हैं अथवा प्रॉपर्टी को लेकर कोई-न-कोई विवाद बना रहता है.
कुंडली में इन ग्रहों का योग है महत्वपूर्ण : मंगल को भूमि, तो शनि को निर्माण का कारक ग्रह माना गया है. इसलिए जब भी दशा/अंतर्दशा में मंगल व शनि का संबंध चतुर्थ/चतुर्थेश से बनता है और कुंडली में मकान बनने के योग मौजूद होते हैं तब व्यक्ति अपना घर बना पाता है.
चतुर्थ भाव/चतुर्थेश पर शुभ ग्रहों का प्रभाव घर का सुख देता है. चतुर्थ भाव/चतुर्थेश पर पाप व अशुभ ग्रहों का प्रभाव घर के सुख में कमी देता है और व्यक्ति अपना घर नहीं बना पाता है.
चतुर्थ भाव का संबंध एकादश से बनने पर व्यक्ति के एक-से-अधिक मकान हो सकते हैं. एकादशेश यदि चतुर्थ में स्थित हो तो इस भाव की वृद्धि करता है और एक से अधिक मकान होते हैं.
यदि चतुर्थेश, एकादश भाव में स्थित हो तब व्यक्ति की आजीविका का संबंध भूमि से बनता है. कुंडली में यदि चतुर्थ का संबंध अष्टम से बन रहा हो तब संपत्ति मिलने में अड़चने हो सकती हैं.
जन्म कुंडली में यदि बृहस्पति का संबंध अष्टम भाव से बन रहा हो तब पैतृक संपत्ति मिलने के योग बनते हैं. चतुर्थ, अष्टम व एकादश का संबंध बनने पर व्यक्ति जीवन में अपनी संपत्ति अवश्य बनाता है और हो सकता है कि वह अपने मित्रों के सहयोग से मकान बनाये.चतुर्थ का संबंध बारहवें से बन रहा हो तब व्यक्ति घर से दूर जाकर अपना मकान बना सकता है या विदेश में अपना घर बना सकता है.
उपर्युक्त योगों की रोशनी में आप खुद के भवन की संभावनाओं को जान सकते हैं. यदि आपको अपनी कुंडली में ये योग कमजोर दिखते हों या बुरे ग्रहों की दृष्टि में दिखते हों, तो किसी योग्य ज्योतिषी के दिशा-निर्देशन में उपाय करके अपने भवन निर्माण की ओर कदम बढ़ा सकते हैं.
कुछ अहम बातें
जो योग जन्म कुंडली में दिखते हैं, वही योग बली अवस्था में नवांश में भी मौजूद होने चाहिए. भूमि से संबंधित सभी योग चतुर्थांश कुंडली में भी मिलने आवश्यक हैं. चतुर्थांश कुंडली का लग्न/लग्नेश, चतुर्थ भाव/चतुर्थेश व मंगल की स्थिति का आंकलन करना चाहिए. यदि यह सब बली हैं तब व्यक्ति मकान बनाने में सफल रहता है.

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