जसिंता केरकेट्टा को मिला अवध का सबसे प्रतिष्ठित माटी रतन सम्मान
Jacinta Kerketta : सम्मान ग्रहण करने के बाद जसिंता ने उपस्थित लोगों को 'जोहार' कहकर अपना संबोधन शुरू किया और कहा कि इसे पाकर वे कुछ ज्यादा ही गौरव का अनुभव कर रही हैं क्योंकि शहीद अशफाकउल्लाह खां समानता और बंधुत्व पर आधारित जिस आजादी की कल्पना करते थे, वह आदिवासी समाज की आजादी की कल्पना से बहुत मेल खाती है.
Jacinta Kerketta : आदिवासी संवेदनाओं व सरोकारों की झारखंड की जानी-मानी कवयित्री व सामाजिक कार्यकर्ता जसिंता केरकेट्टा को शुक्रवार को यहां एक समारोह में अवध के सबसे प्रतिष्ठित ‘माटीरतन’ सम्मान से विभूषित किया गया.
क्रांतिकारी अशफाकउल्लाह खां की याद में दिया जाता है सम्मान
यह सम्मान 1927 में 19 दिसम्बर को यहां की जेल में शहीद हुए ऐतिहासिक काकोरी ट्रेन ऐक्शन से जुड़े रहे क्रांतिकारी अशफाकउल्लाह खां की याद में पिछले 27 सालों से दिया जाता है और अशफाकउल्लाह खां मेमोरियल शहीद शोध संस्थान द्वारा प्रायोजित है.
अब तक देश के अनेक नामचीन साहित्यकारों व समाजसेवियों को इससे विभूषित किया जा चुका है. इनमें अदम गोंडवी, रफीक सादानी, दूधनाथ सिंह, विजय बहादुर सिंह, अष्टभुजा शुक्ल, अनवर जलालपुरी, मुनव्वर राना, मलिकजादा मंजूर, नरेश सक्सेना, डॅा विद्या बिन्दु सिंह, जयप्रकाश ‘धूमकेतु’, सुभाष राय और वसीम बरेलवी जैसी हिंदी-उर्दू की अनेक विशिष्ट विभूतियां शामिल है.
जसिंता ने जोहार के साथ शुरू किया संबोधन
सम्मान ग्रहण करने के बाद जसिंता ने उपस्थित लोगों को ‘जोहार’ कहकर अपना संबोधन शुरू किया और कहा कि इसे पाकर वे कुछ ज्यादा ही गौरव का अनुभव कर रही हैं क्योंकि शहीद अशफाकउल्लाह खां समानता और बंधुत्व पर आधारित जिस आजादी की कल्पना करते थे, वह आदिवासी समाज की आजादी की कल्पना से बहुत मेल खाती है.इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बदले हुए समय में आदिवासी समाज से उसका परंपरागत लचीलापन छीनकर और कट्टर बनाकर उसमें धर्म की लड़ाई पैदा करने की कोशिश की जा रही है, जबकि इससे पहले आदिवासी समाज सदियों से कई-कई धर्मों को मानते हुए आपस में सौहार्दपूर्वक रहता आया है.
उन्होंने कहा कि आदिवासियों की निगाह से देखें तो देश अपनी परवाह करते-करते, अपने आसपास और देश दुनिया और प्रकृति की परवाह करने का नाम है. उन्होंने यह भी कहा कि अफसोस की बात है कि आज इसके बरक्स संवेदनहीन, डरा हुआ और क्रूर समाज बनाने की कोशिशें बढ़ती जा रही हैं. इस अवसर पर जसिंता ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया.उनके साथ अवध के वयोवृद्ध कथाकार शिवमूर्ति और मुंबई के युवा उर्दू कलमनवीस फरहान हनीफ वारसी को भी यह सम्मान दिया गया.
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