International Translation Day 2025 : एक नयी दुनिया का दरवाजा खोलती हैं हिंदी में अनूदित विश्व की ये लोकप्रिय किताबें
अनुवाद एक पुल है, जो दुनिया को जोड़ता है. अनुवाद से एक भाषा से दूसरी भाषा में जाने का रास्ता बनता है. अनूदित पुस्तकों के जरिये पाठकों को अलग-अलग संस्कृतियों के जीवन, रहन-सहन को जानने का अवसर मिलता है. 30 सितंबर, अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस 2025 पर पढ़ें हिंदी में अनूदित विश्व की लोकप्रिय साहित्यिक किताबों के बारे में, जो शब्दों के जरिये आपको एक नयी दुनिया में ले जायेंगी...
International Translation Day 2025 : भाषा पेशेवरों के काम के प्रति आभार प्रकट करने के लिए दुनिया भर में 30 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस मनाया जाता है. यह दिन अनुवादकों और दुभाषियों के योगदान को पहचानने और राष्ट्रों के बीच संवाद, समझ और विकास को बढ़ावा देने में उनके महत्व को रेखांकित करने के लिए समर्पित है. अनुवाद के पुल से होते हुए दुनिया भर में अलग-अलग भाषाओं में लिखी गयी उत्कृष्ट रचनाएं पाठकों तक पहुंची हैं. हिंदी भाषा में आयी ऐसी रचनाओं की एक लंबी फेहरिस्त है, जिनमें से कुछ खास किताबों का अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस पर जिक्र जरूरी हो जाता है. ये किताबें लंबे समय से पाठकों की ऑल टाइम फेवरेट बनी हुई हैं.
लस्ट फॉर लाइफ
दुनिया से अलविदा कहने के बाद पश्चिमी कला इतिहास में सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली डच चित्रकार के तौर पर ख्याति पाने वाले विन्सेंट वैन गॉग का जीवनीपरक उपन्यास है- लस्ट फॉर लाइफ (lust for life). इसे लिखा है अमेरिकी लेखक इरविंग स्टोन ने. वर्ष 1934 में प्रकाशित इस उपन्यास का हिंदी अनुवाद किया है लेखक अशोक पांडे ने. यह किताब विन्सेंट वैन गॉग का जीवन, जो महज 38 वर्ष का था, के संघर्ष का एक जीवंत दस्तावेज है. इसमें लगातार चित्र बनाते वैन गॉग हैं और उनकी जिंदगी की पहाड़ की कठिनाइयां भी. यह किताब क्यों इतनी खास है, इसके आप इसी पुस्तक के एक अंश से महसूस कर सकते हैं- ‘आदमी इस दुनिया में सिर्फ खुश होने के लिए नहीं आया है. वह ऐसे ही ईमानदार बनने को भी नहीं आया है. वह पूरी मानवता के लिए महान चीजें बनाने आया है. वह उदारता प्राप्त करने को आया है, वह उस बेहूदगी को पार करने आया है जिसमें तकरीबन हर आदमी का अस्तित्व घिसटता रहता है.’
युद्ध और शांति
रूसी लेखक लियो टॉल्स्टॉय का विशाल उपन्यास है युद्ध और शांति’ (War and Peace). इसकी गिनती दुनिया के महानतम उपन्यासों में होती है. उपन्यास का पहला भाग 1865 में ‘द रशियन हेराल्ड’ पत्रिका में धारावाहिक के रूप में प्रकाशित हुआ था और पूरे उपन्यास का पहला संस्करण 1868 में प्रकाशित हुआ था. इसके लेखन के दौरान, टॉल्स्टॉय की पत्नी सोफिया उनकी एक महत्वपूर्ण सहायक थीं. वह अकेली ऐसी व्यक्ति थीं जो टॉल्स्टॉय की लिखावट को समझ सकती थीं या उनके पेज पर आड़े-तिरछे लिखने और यहां तक कि हाशिए में भी लंबवत लिखने की आदत को संभाल सकती थीं. सोफिया ने उपन्यास के कम से कम सात ड्राफ्ट की प्रतिलिपि बनायीं. यह उपन्यास पांच रूसी कुलीन परिवारों की कहानियों के माध्यम से नेपोलियन युग के प्रभाव के इतिहास को रेखांकित करता है. इसे आप हिंदी में भी पढ़ सकते हैं.
अन्ना कारेनिना
यह भी उन्नीसवीं सदी के सर्वाधिक सम्मानित लेखकों में से एक लियो टॉल्स्टॉय का लोकप्रिय उपन्यास है. मूल रूप से रूसी भाषा में लिखा गया यह उपन्यास पहली बार 1878 में पुस्तक रूप में प्रकाशित किया गया था. इसे विश्व साहित्य के शिखरों में से एक माना जाता है. अन्ना कारेनिना (Anna Karenina)यूं तो एक असफल प्रेम कहानी है, लेकिन उसमें आज से डेढ़ सौ साल पहले के तत्कालीन रूसी समाज के जीवन, जीवन-गतिविधियों और जीवन-मूल्यों का विस्तार से वर्णन किया गया है.इस उपन्यास का हिंदी अनुवाद दो खंडो में उपलब्ध है.
एकाकीपन के सौ वर्ष
दुनिया के महानतम उपन्यासकारों में शुमार किये जानेवाले गैबो यानी गाब्रिएल गार्सिया मार्केज का उपन्यास वन हंड्रेड ईयर्स ऑफ सॉलिट्यूड (one hundred years of solitude), जिसका हिंदी अनुवाद एकाकीपन के सौ वर्ष शीर्षक से आया है, दुनिया में एक महान कृति के तौर पर लोकप्रिय है. मार्केज के शब्दों में -‘यह लातिन अमेरिका का इतिहास नहीं, बल्कि उसका रूपक है.’ इसे लिखने के लिए मार्केज बाहरी दुनिया से खुद को पूरी तरह काटकर 18 महीनों तक एक कमरे में बंद रहे. प्रकाशित होने के बाद यह उपन्यास स्पैनिश में बाइबिल के बाद सबसे अधिक बिकनेवाली कृति बन गया और जिसके लिए उन्हें ‘ईश्वर’ के बाद सबसे बड़ा लेखक कहा गया. इस किताब का एक छोटी सी पंक्ति इसकी लोकप्रियता की तस्दीक करती है- ‘आदमी तब नहीं मरता जब उसे मरना चाहिए, बल्कि तब मरता है जब वह मर सकता है.’ इस कृति का अब तक 30 से अधिक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है ओर तीन करोड़ से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं.
आधी रात की संतानें
इस विश्व प्रसिद्ध उपन्यास के लेखक हैं भारतीय-ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी. मूल रूप से अंग्रेजी में मिडनाइट्स चिल्ड्रन (Midnight’s Children)शीर्षक से लिखे गये इस उपन्यास को हिंदी में ‘आधी रात की संतानें’ नाम से पढ़ा जा सकता है. इसमें भारत के विभाजन के दौरान आधी रात को जन्मे बच्चों की कहानी है. इस उपन्यास के लिए लेखक को बुकर प्राइज मिला है.
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