कृषि विकास की दिशा में
Dhan-Dhanya Krishi Yojana : बीते ग्यारह साल में कृषि निर्यात दोगुना हुआ है, खाद्यान्न उत्पादन 900 लाख टन बढ़ा है, तो फल-सब्जियों के उत्पादन में 640 टन की वृद्धि हुई है. जीएसटी दरों में बदलाव से भी किसानों को लाभ मिला है, क्योंकि ट्रैक्टर जैसी कृषि मशीनरी की कीमत घटी है.
Dhan-Dhanya Krishi Yojana : दीपावली से पहले प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी के पूसा परिसर में 35,440 करोड़ रुपये की दो महत्वपूर्ण कृषि योजनाओं, पीएम धन-धान्य कृषि योजना और दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन, का शुभारंभ किया, जिनसे कृषि क्षेत्र में बेहतर बदलाव की उम्मीद है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भाजपा की सरकार ने विगत ग्यारह वर्षों में किसानों के हित में बीज से बाजार तक कई सुधार किये हैं, जिसका लाभ किसानों और अर्थव्यवस्था को मिल रहा है.
बीते ग्यारह साल में कृषि निर्यात दोगुना हुआ है, खाद्यान्न उत्पादन 900 लाख टन बढ़ा है, तो फल-सब्जियों के उत्पादन में 640 टन की वृद्धि हुई है. जीएसटी दरों में बदलाव से भी किसानों को लाभ मिला है, क्योंकि ट्रैक्टर जैसी कृषि मशीनरी की कीमत घटी है. प्रधानमंत्री ने घरेलू और वैश्विक मांग पूरी करने के लिए किसानों से उत्पादन बढ़ाने की अपील करते हुए कहा कि हमें उन फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिनसे वैश्विक कृषि बाजार में अपना वर्चस्व स्थापित किया जा सके. उनका कहना था कि 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने में किसानों की बड़ी भूमिका है. कुल 24,000 करोड़ रुपये की पीएम धन-धान्य कृषि योजना का उद्देश्य आकांक्षी जिला कार्यक्रम मॉडल के आधार पर कमतर प्रदर्शन वाले 100 कृषि जिलों का कायाकल्प करना है.
देश के कई जिले ऐसे हैं, जहां प्रति हेक्टेयर उत्पादन बहुत कम है. सरकार ने ऐसे ही सौ पिछड़े जिलों को चुना है, जहां ग्यारह सरकारी विभागों की कुल छत्तीस योजनाएं मिलकर काम करेंगी. यह योजना फसल की उत्पादकता बढ़ाने, फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने, सिंचाई और भंडारण सुविधाओं में सुधार करने, चयनित जिलों में ऋण पहुंच बढ़ाने और किसानों को नयी कृषि तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने पर केंद्रित होगी. जबकि 11,440 करोड़ रुपये की दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का उद्देश्य दलहन की खेती का दायरा 35 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना है, ताकि दालों के आयात पर निर्भरता घटाई जा सके.
दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की घोषणा 2025-26 के केंद्रीय बजट में की गयी थी. सरकार ने वर्ष 2030-31 तक देश को दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है. दरअसल गेहूं और चावल में आत्मनिर्भर होने के बावजूद भारत अब भी दालों के आयात पर निर्भर है. इन दोनों योजनाओं से न केवल कुल कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होगी, बल्कि कम उत्पादकता वाले, पिछड़े और सिंचाई सुविधाओं से वंचित जिलों को विशेष लाभ मिलेगा.
