पाकिस्तान का उकसावा

दुनिया कोरोना संक्रमण और आर्थिकी के संकट का सामना कर रही है, वहीं कुछदेश संकीर्ण स्वार्थों को साधने की कोशिश में हैं. ऐसा ही एक देशपाकिस्तान है, जहां सरकार और अदालत अपने नागरिकों को महामारी से बचाने औरपंगु आर्थिकी को संभालने की जगह भारत को नुकसान पहुंचाने में लगी हैं.

By संपादकीय | May 5, 2020 7:19 AM

दुनिया कोरोना संक्रमण और आर्थिकी के संकट का सामना कर रही है, वहीं कुछदेश संकीर्ण स्वार्थों को साधने की कोशिश में हैं. ऐसा ही एक देशपाकिस्तान है, जहां सरकार और अदालत अपने नागरिकों को महामारी से बचाने औरपंगु आर्थिकी को संभालने की जगह भारत को नुकसान पहुंचाने में लगी हैं.पाकिस्तानी सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को गिलगिट-बाल्टिस्तान में सितंबरमें चुनाव कराने तथा अंतरिम सरकार बनाने की मंजूरी दी है. यह इलाकालद्दाख और कश्मीर के कुछ हिस्सों की तरह पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है,जबकि वैधानिक तौर पर ये सब भारत का भाग हैं.

स्वाभाविक रूप से भारतीयविदेश मंत्रालय ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा है कि ऐसी हरकतों से नतो अवैध कब्जे की हकीकत छुपायी जा सकती है और न ही उन क्षेत्रों में होरहे मानवाधिकार के उल्लंघन, दमन और शोषण पर परदा डाला जा सकता है. अवैधरूप से हथियाये गये इलाकों पर पाकिस्तान की सरकार, सेना या न्यायपालिकाका कोई अधिकार नहीं बनता है, इसलिए उनके बारे में नियमन का भी कोई तुकनहीं है. वे सभी क्षेत्र भारत के अभिन्न हिस्से हैं और इस स्थिति कोबदलने के किसी भी कुत्सित प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.पाकिस्तान का यही आक्रामक रवैया कश्मीर में अलगाववाद को उकसाने औरआतंकवाद को बढ़ाने की कोशिशों में भी साफ देखा जा सकता है.

पाकिस्तानद्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर युद्धविराम का उल्लंघनकरते हुए लगातार गोलाबारी करना, प्रशिक्षित आतंकवादियों की घुसपैठ करानातथा कश्मीर में सक्रिय गिरोहों को संसाधनों से मदद पहुंचाना बदस्तूर जारीहै. पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर की प्रशासनिक संरचना में वैधानिकबदलाव तथा घाटी में सामान्य होती स्थिति से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. वहयह देखकर परेशान है कि घाटी की जनता अलगाववादी विचारों और हिंसक भावनाओंको दरकिनार कर भारत की विकास यात्रा में शामिल होकर बेहतर भविष्य की ओरअग्रसर हो रही है.

उसे यह भी चिंता है कि इससे कब्जेवाले क्षेत्रों मेंपाकिस्तान के खिलाफ उठतीं आवाजें बुलंद होती जायेंगी और उसका कब्जादेर-सेबर खत्म हो जायेगा. इसी बदहवासी में वह गिलगिट-बाल्टिस्तान मेंचुनाव और सरकार का फर्जी तमाशा रच रहा है. जगजाहिर तथ्य है कि पाक-अधिकृतक्षेत्रों में जो तथाकथित सरकारें रही हैं, वह असल में पाकिस्तानी सरकारऔर सेना की कठपुतलियां हैं.

चाहे वह कश्मीर को मुद्दा बनाकरअंतरराष्ट्रीय समुदाय में सहानुभूति लेने का प्रयास हो या फिर जबरियाकब्जाये गये इलाकों में स्वायत्तता का पाखंड हो, पाकिस्तान की पोल दुनियाके सामने खुल चुकी है. वह आतंकवाद की पनाहगाह के रूप में कुख्यात है,जिसका इरादा पड़ोसी देशों को अस्थिर करना है. वक्त आ गया है किपाकिस्तानी उकसावे के बरक्स भारत कड़ा रुख अपनाने पर विचार करे.

Next Article

Exit mobile version