नयी शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा

नयी नीति में स्कूल के स्तर से ही छात्रों को कम-से-कम एक व्यावसायिक शिक्षा अनिवार्यत: देने का प्रावधान है. अभी 10,058 स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा शुरू कर दी गयी है. इसमें 55 भिन्न रोजगारों से जुड़े व्यावसायिक पाठ्यक्रम छात्रों को प्रदान किये जा रहे हैं.

By प्रो पूनम | August 24, 2020 8:19 AM

नयी शिक्षा नीति आजकल चर्चा का प्रमुख विषय है. इसमें स्कूली शिक्षा को लेकर जो नीतियां बनायी गयी हैं, उनको व्यावहारिक स्तर पर लागू करने हेतु कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गये हैं. देखना यह है कि ये कदम वर्तमान स्कूली शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन कर उसे ज्यादा उपयोगी बनाने में सक्षम हैं या नहीं. बालकों के व्यक्तित्व निर्माण में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

नयी शिक्षा नीति में स्कूल संचालकों और शिक्षकों की समग्र उन्नति के लिए ‘निष्ठा’ (नेशनल इनिशिएटिव फॉर स्कूल हेड्स एंड टीचर्स होलिस्टिक एडवांसमेंट) प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाया गया है, जो पिछले साल 21 अगस्त से चालू भी है. विद्यार्थियों में सीखने क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से ही शिक्षकों के लिए यह कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है. शिक्षक प्रशिक्षण का ही एक और कार्यक्रम ‘स्सेर्ट’ (द स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) है, जिसकी स्थापना पांच जनवरी, 1979 को ही की गयी थी. नयी नीति में इसकी गतिविधियों को तेज करते हुए इसमें कई नये आयाम जोड़े गये हैं.

इसकी परिकल्पना स्कूली शिक्षा के लिए ‘वन नेशन वन डिजिटल पोर्टल’ के रूप में की गयी है, जो केंद्रीय एजेंसियों (जैसे एनसीइआरटी, सीबीएसइ आदि) तथा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा ई-कंटेंट की सुविधा प्रदान करता है. अभी तक इसके अंतर्गत लगभग 95,000 ई-कंटेंट विषयवस्तु अपलोड किये गये हैं और ये 15 भाषाओं में उपलब्ध है. नयी शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने की बात की गयी है.

विश्वभर के पंद्रह वर्ष तक के स्कूली बच्चों के मूल्यांकन हेतु बने ‘पीसा’ (प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट) में भारत की भागीदारी के लिए सैद्धांतिक मंजूरी ली गयी है. अभी तक 79 देश इसके सदस्य हैं. यह एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे. इसमें शिक्षकों को अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार सीखने-सिखाने की प्रणाली के अंतर्गत प्रशिक्षित किये जाने का प्रावधान है.

अभी 10,058 स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा शुरू कर दी गयी है. इसमें 19 क्षेत्रों के अंतर्गत आनेवाले 55 भिन्न रोजगारों से जुड़े व्यावसायिक पाठ्यक्रम छात्रों को प्रदान किये जा रहे हैं. स्टार्स (स्ट्रेंथेनिग टीचिंग-लर्निंग एंड रिजल्ट्स फॉर स्टेट्स प्रोग्राम) का उद्देश्य भी छात्रों को उनके स्कूली जीवन में ही व्यवसाय और बाजार से परिचित कराना है. विश्व बैंक द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त ‘स्टार्स’ चयनित छह राज्यों के विद्यालयों में श्रेष्ठ शिक्षा और बाजार के अंतरसंबंध का भी मूल्यांकन करते हुए छात्रों को नौकरी के बजाय व्यवसाय से आत्मनिर्भर बनाने की ट्रेनिंग पर बल दे रहा है.

मदरसों/अल्पसंख्यक स्कूलों को तकनीकी संपन्न बनाते हुए मुख्यधारा में जोड़ने की वृहद योजना इस नीति में है. इस नीति के तहत पांचवीं कक्षा (इसे आठवीं तक बढ़ाया जा सकता है) तक मातृभाषा में शिक्षा देना है. इसके साथ ही छात्रों को भारत की बहुभाषिक संस्कृति से परिचित कराने हेतु ‘भाषा संगम’ पाठ्यक्रम बनाया गया है, जिसके तहत संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भारतीय भाषाओं से परिचित कराया जायेगा. अब स्कूलों में गणित तथा विविध विज्ञान की पुस्तकें भी दो भाषाओं में उपलब्ध होंगी.

इससे छात्रों को विषय समझने में भाषा की जटिलताओं से नहीं जूझना पड़ेगा. नयी शिक्षा नीति में खेल और स्वास्थ्य पर बहुत ध्यान दिया गया है. प्रत्येक स्कूल में हर छात्र का स्वास्थ्य कार्ड बनेगा और निश्चित अंतराल पर उनके स्वास्थ्य का परीक्षण किया जायेगा. नीति में मानसिक स्वास्थ्य पर भी पर्याप्त बल दिया गया है.

‘मनोदर्पण’ (इसकी शुरुआत कोविड-19 के दौरान की गयी) विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से छात्रों को मनोवैज्ञानिक और सामाजिक संदर्भों में सहायता प्रदान करता है. मंत्रालय द्वारा नि:शुल्क राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर और वेब पेज भी शुरू किया गया है. स्कूली शिक्षा से संबंधित सारी विस्तृत जानकारी की आसानी से उपलब्धता के लिए शगुन ऑनलाइन जंक्शन प्रारंभ किया गया है. बच्चे देश के भविष्य होते हैं. उनमें हम जितना निवेश करेंगे, हमारा भविष्य उतना ही उज्ज्वल और उन्नत होगा. (ये लेखक के निजी विचार हैं)

posted by : sameer oraon

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