ट्रंप टैरिफ से मुकाबले के लिए मोदी सरकार की योजना

Trump Tariffs : भारत पहले से ही सैकड़ों देशों को वस्त्र निर्यात करता है. लेकिन ये 40 देश मिलकर करीब 590 अरब डॉलर का वस्त्र एवं परिधान आयात करते हैं. इस आयात में भारत की हिस्सेदारी अभी मात्र पांच-छह प्रतिशत है.

By संपादकीय | August 28, 2025 10:12 PM

Trump Tariffs : मोदी सरकार ने ट्रंप टैरिफ से निपटने की योजना बनायी है, जिसमें स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को दीर्घकालिक समाधान के रूप में देखा जा रहा है. टैरिफ से भारत की आर्थिक विकास दर छह प्रतिशत से नीचे जा सकती है. लेकिन मजबूत आर्थिक फंडामेंटल्स के कारण देश की विकास यात्रा पर बहुत अधिक असर पड़ने की आशंका नहीं है. मौजूदा चुनौती से निपटने के लिए विशेषज्ञ दो विकल्प बता रहे हैं. पहला विकल्प तो स्थानीय बाजार ही है. हमारा निर्यात हमारी अर्थव्यवस्था का मात्र 20 प्रतिशत है, जबकि देश का विशाल बाजार राष्ट्रीय उत्पादन के 80 प्रतिशत की खपत स्वयं करता है.

जाहिर है, इसमें और खपत बढ़ाने की गुंजाइश है, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था सालाना छह से सात प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. दूसरा विकल्प यह है कि निर्यात के लिए नये बाजारों की खोज की जाये. इसके लिए सरकार यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते में तेजी लाने का प्रयास कर रही है. ब्रिटेन के साथ समझौता हो भी गया है. चूंकि अमेरिका ने लगभग 45 अरब डॉलर मूल्य के भारतीय निर्यात पर टैरिफ लगाया है, ऐसे में वस्त्र तथा रत्न व आभूषण जैसे श्रम प्रधान उत्पादों पर दबाव पड़ने की उम्मीद है.

गौरतलब है कि देश के टेक्सटाइल सेक्टर ने पिछले वित्त वर्ष में अमेरिका को 10.3 अरब डॉलर के सामान का निर्यात किया था. लेकिन 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ के बाद भारतीय वस्त्र निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, कंबोडिया और इंडोनेशिया आदि की तुलना में 30-31 प्रतिशत तक घट गयी है और यह अमेरिकी बाजार से लगभग बाहर हो गया है. ऐसे में, सरकार ने 40 देशों में वस्त्र निर्यात को बढ़ावा देने की तैयारी की है. इस पहल में ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, मेक्सिको, रूस, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, तुर्किये और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश शामिल हैं.

भारत पहले से ही सैकड़ों देशों को वस्त्र निर्यात करता है. लेकिन ये 40 देश मिलकर करीब 590 अरब डॉलर का वस्त्र एवं परिधान आयात करते हैं. इस आयात में भारत की हिस्सेदारी अभी मात्र पांच-छह प्रतिशत है. मौजूदा स्थिति में इन देशों के साथ विशेष संपर्क की यह पहल बाजार विविधीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगी तथा इसमें भारतीय मिशन और निर्यात प्रोत्साहन परिषद की अहम भूमिका होगी. निर्यात को विविध बनाने पर जोर देते हुए निर्यात प्रोत्साहन परिषद अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों तथा व्यापार मेलों में भाग लेगी और ब्रांड इंडिया को मजबूत करेगी.