मजबूत रक्षा संबंधों में बंधते भारत-ब्रिटेन

India-UK : भारत-ब्रिटेन के रक्षा संबंध ऐसे समय में नये दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जब भारत विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और सुरक्षा समझौते को वरीयता दे रहा है. स्वाभाविक है कि अमेरिका जैसी सुरक्षा साझेदारी का हमारा रोडमैप दूसरे देशों के साथ भी ऐसे ही समझौते करने को प्रेरित करता है.

By डॉ मनन द्विवेदी | October 13, 2025 9:39 AM

India-UK : ब्रिटेन के साथ हुआ रक्षा समझौता ऐसे समय में भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जब अमेरिका के साथ हमारे रिश्ते पहले जैसे नहीं रह गये हैं. ब्रिटेन के साथ हाल में हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के बाद अब रक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोग को नयी ऊर्जा मिल रही है. हाल ही में भारत यात्रा पर आये ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ मुंबई में बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और ब्रिटेन स्वाभाविक साझेदार हैं और दोनों देशों के बीच साझेदारी वैश्विक स्थिरता एवं आर्थिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण आधार बन रही है. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत-ब्रिटेन संबंधों का आधार लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन जैसे मूल्यों में साझा विश्वास है. उनका कहना था कि यह महज एक व्यापारिक समझौता नहीं है, बल्कि विश्व की दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच साझा उन्नति, साझा समृद्धि तथा साझा जनता का मार्गदर्शक खाका है. बाजार पहुंच के साथ यह समझौता दोनों राष्ट्रों के लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमइ) को सशक्त बनाएगा तथा लाखों युवाओं के समक्ष नयी रोजगार संभावनाओं के दरवाजे भी खोलेगा.


भारत-ब्रिटेन के रक्षा संबंध ऐसे समय में नये दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जब भारत विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और सुरक्षा समझौते को वरीयता दे रहा है. स्वाभाविक है कि अमेरिका जैसी सुरक्षा साझेदारी का हमारा रोडमैप दूसरे देशों के साथ भी ऐसे ही समझौते करने को प्रेरित करता है. बेशक ब्रिटेन आज पहले जैसी मजबूत स्थिति में नहीं रह गया है, लेकिन स्टार्मर पिछले करीब एक साल से ब्रिटेन के रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने की पुरजोर कोशिश में जुटे हुए हैं, जिससे आर्थिक विकास को गति दी जा सके. स्टार्मर ने नाटो लक्ष्यों के अनुरूप खर्च बढ़ाने का वादा किया है. साथ ही, निर्यात बढ़ाने पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है. इसके तहत पिछले दिनों ब्रिटेन ने नॉर्वे के साथ 13.5 अरब डॉलर का फ्रिगेट अनुबंध किया था. कीर स्टार्मर के नेतृत्व में ब्रिटेन ने यह समझा है कि नयी दिल्ली के साथ रक्षा समझौता दोनों देशों के बीच के रणनीतिक रिश्ते को मजबूत करेगा.

ब्रिटिश सत्ता प्रतिष्ठान का आधिकारिक पोर्टल बता रहा है कि ‘भारत के साथ 350 मिलियन पाउंड के रक्षा समझौते के तहत भारतीय सेना को ब्रिटिश मिसाइलों की आपूर्ति की जायेगी और इससे ब्रिटेन में सैकड़ों रोजगार को मदद मिलेगी. भारत-ब्रिटेन रक्षा-उद्योग सहयोग ने नयी ऊंचाइयां छुई हैं, जिसके तहत ब्रिटेन भारतीय नौसैनिक जहाजों के लिए बिजली से चलने वाले इंजन देगा. कीर स्टार्मर ने मुंबई में दोनों देशों के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत के साथ 350 मिलियन पाउंड के सौदे से उत्तरी आयरलैंड में रोजगार के सैकड़ों अवसर सृजित होंगे और बदले में ब्रिटेन अपने महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार भारत को एयर डिफेंस मिसाइलों और लांचरों की आपूर्ति करेगा.’


रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले जारी रखने के इस दौर में ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और इटली जैसे देशों व पूर्व औपनिवेशिक शासकों पर यूक्रेन को हथियारों तथा तकनीकों से मदद करने की बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है, क्योंकि वे संसाधनों से संपन्न हैं और यूक्रेन की मदद करने में सक्षम भी हैं. यह ज्ञात तथ्य है कि यूक्रेन इतने समय से रूस के खिलाफ जंग में बना हुआ है, तो इसकी एक वजह ब्रिटिश मार्टलेट मिसाइलें हैं. ब्रिटेन वही मिसाइलें भारत को देने जा रहा है. आसमान और जमीन पर मार करने में समान रूप से सक्षम और बेहद हल्की इस मिसाइल को थेल्स एयर डिफेंस की तरफ से विकसित किया गया है. इसका नाम ऐतिहासिक मार्टलेट नामक पक्षी के नाम पर रखा गया है, जो कभी घोंसला नहीं बनाता. समझौते में भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षकों को रॉयल एयरफोर्स के साथ जोड़ने के लिए एक अलग पहल की भी घोषणा की गयी है, जिसके तहत भारतीय उड़ान प्रशिक्षकों को यूके रॉयल एयर फोर्स प्रशिक्षण से जोड़ा जायेगा. भारत-ब्रिटेन के बीच नयी रणनीतिक साझेदारी के पीछे का एक विचार यह है कि वैश्विक परिदृश्य बदल रहा है. दुनिया की रणनीतिक धुरी पश्चिम एशिया से खिसक कर अब एशिया-प्रशांत की तरफ आ रही है. इस रक्षा समझौते का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य दोतरफा सुरक्षा व्यवस्था में उपेक्षित पड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाना है. इसी आपसी सहयोग के तहत ब्रिटिश जहाज एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स को हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सक्रिय है. दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच गहरी साझेदारी और सहयोग की स्थिति भी बनी है.


स्टार्मर अपने साथ 125 व्यापारिक नेताओं का प्रतिनिधिमंडल लेकर आये थे. यही बताता है कि ब्रिटेन को आज भारत जैसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के साथ मजबूत व्यापारिक रिश्ते बनाना कितना आवश्यक है. दोनों देशों के बीच आर्थिक निवेश और सहयोग की दिशा में भी सहमति बनी है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने मुंबई को अपना गंतव्य दरअसल चुना ही इसलिए था कि आर्थिक मामले में बड़े समझौते तक पहुंचा जाए. इसके तहत कुल 64 भारतीय कंपनियों ने ब्रिटेन में 1.3 अरब पाउंड का निवेश करने की प्रतिबद्धता जतायी है, जिससे वहां लगभग 7,000 नये रोजगार सृजित होने की उम्मीद है. भारतीय कंपनियों ने खासकर इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और दूसरे उद्योगों में निवेश करने का फैसला किया है. उदाहरण के लिए, टीवीएस मोटर ने मोटरसाइकिल का विस्तार करने और इलेक्ट्रिक वाहन विकसित करने के लिए सोलीहुल में 250 मिलियन पाउंड के निवेश की योजना बनायी है. ऐसे ही, हीरो मोटर्स ने अगले पांच साल में ई-मोबिलिटी, ई-साइकिल और एयरोस्पेस क्षेत्रों में 100 मिलियन पाउंड के निवेश की योजना बनायी है.


मुथूट फाइनेंस यूके लिमिटेड ने 100 मिलियन पाउंड के निवेश के साथ अपने शाखा नेटवर्क के विस्तार करने का लक्ष्य रखा है. सेमीकंडक्टर और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए भी भारतीय कंपनी ने निवेश की इच्छा जतायी है, जिससे ब्रिटेन में रोजगार पैदा होने की उम्मीद है. व्यापार और उद्योग के अलावा दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर भी सहमति जताई है. यह समझौता हमारे मजबूत प्रशिक्षण और शिक्षा संबंधों को सुगम बनाएगा. इसके अंतर्गत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ब्रिटेन के लंकास्टर और सरे विश्वविद्यालयों को भारत में अपने परिसर खोलने की मंजूरी मिल गयी है. ब्रिटेन के साथ हुआ समझौता जहां अमेरिकी टैरिफ से उपजे दबाव की कमोबेश भरपाई करेगा, वहीं यह कदम ज्यादा से ज्यादा देशों के साथ संबंध मजबूत करने की भारत की नीति का भी परिचायक है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)