वैश्विक अनिश्चितता से महंगा होता सोना, पढ़ें मधुरेंद्र सिन्हा का लेख
सोने के दाम आसमान क्यों छू रहे हैं? पहला जवाब तो यह है कि सोने की मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ गयी है. सोना दुर्लभ धातु है और इसका उत्पादन बहुत ही कम होता है. इसलिए यह महंगा है.
Gold Price : कारोबारी दुनिया में इस समय कोहराम मचा हुआ है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की मार से हर चीज नीचे चली गयी है. शेयर बाजार लुढ़क रहे हैं, उपभोक्ता सामान के दाम गिर रहे हैं और कच्चे तेल की कीमत भी नीचे जा रही है. लेकिन सोना-चांदी हैं कि बाजार को रोशन किये हुए हैं. इन दोनों में बला की तेजी देखने में आ रही है. इतनी तेजी पहले कभी देखने में नहीं आई थी. दोनों मूल्यवान धातुएं इस समय आम आदमी की जद से बाहर हैं. पहले इसके लिए रूस-यूक्रेन युद्ध, इस्राइल-हमास की लड़ाई और अमेरिका-ईरान झड़प जिम्मेदार थी, लेकिन अब बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में उछाल ट्रंप के टैरिफ वार के कारण आया है.
ट्रंप ने भारत, ब्राजील जैसे देशों पर तो 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया ही है, चीन पर भी भारी टैरिफ लगाया है और उस सिंगापुर पर भी टैरिफ लगाया, जिसने अमेरिकी सामान पर कभी कोई टैक्स नहीं लगाया. यानी कोई भी देश ट्रंप की टैक्स रूपी तलवार से बच नहीं पाया है. ट्रंप के टैरिफ वार से अपने यहां सोना एक लाख रुपये प्रति 10 ग्राम से भी ज्यादा हो गया. चांदी भी 115 रुपये प्रति एक ग्राम से ऊपर हो गयी. नतीजा यह है कि बाजार में सन्नाटा छा गया है और ग्राहक गायब हो गये हैं.
सोने के दाम आसमान क्यों छू रहे हैं? पहला जवाब तो यह है कि सोने की मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ गयी है. सोना दुर्लभ धातु है और इसका उत्पादन बहुत ही कम होता है. इसलिए यह महंगा है. वर्ष 2024 में विश्व स्तर पर सोने का उत्पादन कम हुआ था. ऐसे में वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने अनुमान लगाया था कि 2025 में सोने के दाम में भारी तेजी आयेगी. इस साल के पूर्वार्ध में सोने के दाम में 26 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखी गयी थी. यह तेजी अब तक कायम है. सैकड़ों वर्षों से सोना संकट का साथी रहा है. यही कारण है कि जब भी महामारी या युद्ध जैसा कोई विश्वव्यापी संकट आता है, तब सोने के दाम बढ़ जाते हैं. कोविड महामारी के दौरान भी सोने के दाम बढ़ गये थे. युद्ध जैसे हालात में आर्थिक अनिश्चितता होती है, तो सोना तेजी से ऊपर जाता है. सोना बेचकर लोग कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन कर लेते हैं. सोने का कोई विकल्प नहीं है, इसलिए भी इसे सेफ हैवन कहा जाता है. तेजी के समय अंतरराष्ट्रीय सटोरिये भी काफी सक्रिय हो जाते हैं और खरीदारी करते हैं. इस कारण भी सोने के दाम बढ़ते जाते हैं.
इस समय सारी दुनिया में ट्रेड संकट है और हर देश ट्रंप टैरिफ की मार से परेशान है. इस वजह से भी सोने के दाम तेज हो गये हैं. बताया जाता है कि ट्रंप के आदेशों के तहत सोने के एक किलोग्राम बार पर अमेरिका में आयात शुल्क बढ़ा दिया गया है तथा 100 ग्राम के बार भी अब टैक्स की जद में आ जायेंगे. इससे अमेरिका में सोने के महंगे होने के आसार हैं. इसी आशंका से दुनिया भर में सोने के भाव बढ़ रहे हैं. दुनिया में सोने की सबसे ज्यादा रिफाइनिंग स्विटजरलैंड में होती है और टैरिफ का असर उस पर पड़ सकता है.
सोने के दाम बढ़ने के दो और कारण बताये जाते हैं. पहला तो यह कि ट्रंप के तमाम तरह के आदेशों के कारण उनका अपना डॉलर ही कमजोर होता जा रहा है. इसलिए वहां निवेशक करेंसी में निवेश करने की बजाय कहीं ज्यादा सुरक्षित धातु सोने में निवेश कर रहे हैं. इससे भी सोने की मांग बढ़ रही है. और दूसरा कारण यह है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा, जिसे फेडरल रिजर्व कहा जाता है, ब्याज दरों में कटौती करने की आशंका है. इससे आने वाले दिनों में भी निवेशक सोने की ओर खिंचे चले आ सकते हैं. दुनियाभर में दरअसल अभी एक तरह की आर्थिक अनिश्चितता है, जिस कारण बड़े खिलाड़ी सोने के दाम बढ़ा रहे हैं. अगर हम वायदा के भाव देखें, तो पायेंगे कि अक्तूबर में भी सोने के दाम ऊपर ही हैं. इससे भी सोने की वैश्विक मांग में हुई वृद्धि के बारे में पता चलता है. सोने के बारे में यह कहा जाता है कि इसने अपने निवेशकों को कभी निराश नहीं किया. आंकड़े बताते हैं कि पिछले 20 साल में इसने निवेशकों को 1,200 फीसदी रिटर्न दिया. वर्ष 2005 में सोने की कीमत 7,638 रुपये प्रति 10 ग्राम थी, जो 2025 में बढ़कर एक लाख दो हजार रुपये से भी ज्यादा हो गयी. इस साल अभी तक इसमें 31 फीसदी वृद्धि हुई है.जो संकेत हैं, उसमें सोने के दाम में अभी और वृद्धि होगी.
हाल के वर्षों में सोने के दाम बढ़ने का एक बड़ा कारण यह भी है कि दुनियाभर के केंद्रीय बैंक लगातार सोना खरीद रहे हैं. वर्ष 2024 में चीन के सेंट्रल बैंक ने एक छमाही में 44 टन सोना खरीदा और 2025 की शुरुआत में और पांच टन सोने की खरीदारी की. बताते हैं कि अब उसके पास 2,285 टन सोना है, जो उसके कुल विदेशी मुद्रा रिजर्व का 5.9 प्रतिशत है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, 2022 और 2023 में सेंट्रल बैंकों ने एक हजार टन से भी ज्यादा सोने की खरीदारी की, जिससे आपूर्ति पर दबाव पड़ा और कीमतें उछल गयीं. सोने के दाम अगर इसी तरह से बढ़ते रहे, तो शायद एक दिन देश का मध्यवर्ग भी सोना नहीं खरीद पायेगा.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)
