भारत के लिए जरूरी है ऊर्जा सुरक्षा

भविष्य में इस बात की पूरी संभावना है कि राष्ट्रों के मध्य ऊर्जा संसाधनों को लेकर युद्ध हों, इसलिए भारत को ऊर्जा सुरक्षा पर बल देने की जरूरत है तभी उसका चहुंमुखी विकास होगा और वह आत्मनिर्भर हो पायेगा़

By संपादकीय | October 28, 2020 6:11 AM

डॉ. अमित सिंह, सहायक प्राध्यापक, दिल्ली विश्वविद्यालय

amitsinghjnu@gmail.com

इंडिया एनर्जी फोरम में प्रधानमंत्री ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर जो बातें कही हैं वह बहुत महत्वपूर्ण है़ं आनेवाले समय में यदि हमें अपनी अर्थव्यवस्था बचानी है, या फिर अपनी आंतरिक सुरक्षा और विदेश नीति के ध्येय को प्राप्त करना है, उसके लिए ऊर्जा सुरक्षा की नीति बनाना बहुत जरूरी है़ वर्तमान में भारत अमेरिका और चीन के बाद तीसरा ऐसा देश है जो सबसे ज्यादा ऊर्जा का आयात करता है़ भारत की बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर हमें निर्बाध रूप से ऊर्जा आपूर्ति की जरूरत है़

भारत जानता है कि यदि उसे अपनी अर्थव्यवस्था सुचारु रूप से चलानी है, आत्मनिर्भर भारत बनाना है तो उसे भी ऊर्जा आयात को कम करते हुए घरेलू उत्पादन पर ध्यान देना होगा़ पिछले कई वर्षों में भारत ने तेल और गैस के घरेलू उत्पादन पर काफी पैसा खर्च किया है़ विदेशी कंपनियों के साथ नये-नये संयुक्त उद्यम हुए है़ं वर्ष 2014 के बाद मोदी सरकार ने सौर ऊर्जा पर भी ध्यान दिया और बहुत बड़े-बड़े सौर ऊर्जा पार्क भी बनाये, जिसके माध्यम से हमें ऊर्जा की प्राप्ति भी हो रही है़

अभी भी हम अपनी तेल एवं गैस जरूरतों का 80 प्रतिशत हिस्सा बाहर से ही मंगाते है़ं आनेवाले समय में हमारे देश की ऊर्जा जरूरतें काफी बढ़ेंगी़ वर्तमान में भारत के ऊर्जा उपभोग का 50 प्रतिशत कोयले पर, 30 प्रतिशत तेल पर और 10 प्रतिशत गैस पर निर्भर है़ हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी और परमाणु ऊर्जा का उपभाेग क्रमश: दो प्रतिशत और एक प्रतिशत ही है़ भारत में कोयले की बहुत सी खदानें हैं फिर भी उसे अच्छी गुणवत्ता का कोयला विदेशों से आयात करना पड़ता है़

भारत के कोयले के खदान भी धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं और आने वाले समय में ऊर्जा जरूरतों के बढ़ने की संभावना है़ ऐसे में हमारी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में प्राकृतिक गैस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है़ यही कारण है कि पिछले छह वर्षों में मोदी सरकार ने कई ऊर्जा सम्मेलन किये हैं, बड़ी कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम किया है और कई ऐसे सुधार भी किये हैं जिसके माध्यम से विदेशी कंपनियां भारत में निवेश कर पाये़ं वर्तमान में हमें अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत तलाशने की जरूरत है़

जलवायु परिवर्तन को देखते हुए आज ज्यादातर देश गैस आधारित अर्थव्यवस्था चाहते है़ं इसका लाभ होगा. कोयला, डीजल या तेल की तुलना में गैस की ज्यादा खपत से प्रदूषण में कमी आयेगी़ मोदी सरकार इस बात को समझती है, इसलिए गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनाने की बात हो रही है़ गैस आधारित अर्थव्यवस्था से पर्यावरण बचेगा और जलवायु परिवर्तन के हिसाब से भी यह अच्छा होगा़

इसके जरिये विदेशी कंपनियां भारत में निवेश करेंगी, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ ही नौकरियों का सृजन भी होगा़ पर्यावरण भी बचेगा और आनेवाले समय में हम ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी हो पायेंगे़ इतना ही नहीं, भारत अभी भी तेल एवं गैस की जरूरतों को पूरा करने के लिए पश्चिम एशिया के देशों पर बहुत ज्यादा निर्भर है़ इन देशों में बहुत ज्यादा राजनीतिक अस्थिरता रहती है, जिसका असर तेल की कीमतों पर पड़ता है़

इसका नकारात्मक प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था पर भी होता है़ साथ ही, अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर जिस तरह से अमेरिका प्रतिक्रिया देता है, उसका असर भी व्यापार और तेल एवं गैस की आपूर्ति पर पड़ता है़. मोदी ने ऑयल रिफाइनिंग की वर्तमान क्षमता बढ़ाने की भी बात भी कही है़ इसका एक कारण है कि हमारी ज्यादातर ऑयल रिफाइनरियां ईरान के तेल को ही रिफाइन करने में सक्षम है़ं रिफाइनरी की संख्या बढ़ने से ईरान के अलावा दूसरे देशों से आनेवाले तेल को भी हम अच्छी तरह रिफाइन कर पायेंगे.

इसके लिए सरकार को कई मोर्चों पर काम करना होगा़ ‘वन नेशन वन गैस ग्रिड’ की बात भी प्रधानमंत्री ने कही है, जो बहुत अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए काम करने की जरूरत है. क्योंकि जब निवेश के लिए कल कंपनियां आयेंगी तो वे चाहेंगी कि गैस भी जीएसटी के दायरे में आये़ जीएसटी के दायरे में गैस के आने से सभी जगह गैस के दाम एक जैसे हो जायेंगे़ इससे दाम भी कम होगा और कंपनिया भी मुनाफा कमा पायेंगी़ केंद्र को भी उचित फायदा मिलेगा़

दूसरे, अभी गैस का जो भी उत्पादन होता है, वह राज्य या ज्योग्राफिकल लोकेशन के आधार पर होता है और गैस का अधिकतम उपभोग भी उसी राज्य में हो जाता है़ लेकिन जब राष्ट्र के स्तर पर इसको चैनलाइज किया जायेगा तब एक तरीके की गैस या एक ही माध्यम से पूरे देश में इसकी आपूर्ति होगी़ रिस्पांसिबल फ्यूएल प्राइसिंग का अर्थ भी पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में जानबूझकर या राजनीतिक अस्थिरता के कारण होनेवाली बेतहाशा वृद्धि पर रोक लगाने की एक पहल है़

भविष्य में इस बात की पूरी संभावना है कि राष्ट्रों के मध्य ऊर्जा संसाधनों को लेकर युद्ध हों, इसलिए भारत को ऊर्जा सुरक्षा पर बल देने की जरूरत है तभी उसका चहुंमुखी विकास होगा और वह आत्मनिर्भर हो पायेगा़ भारत की ऊर्जा सुरक्षा आर्थिक दृष्टिकोण से भी आवश्यक है और पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन के दृष्टिकोण से भी़ स्वच्छ एंव आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए विदेश नीति के माध्यम से राष्ट्रीय हितों को साधने में भी यह सार्थक होगा़

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Posted by : pritish sahay

Next Article

Exit mobile version