चिंताजनक बेरोजगारी दर

रोजगार में कमी का सीधा असर मांग में गिरावट के रूप में सामने आता है. यदि मांग कम होगी, तो उत्पादन और वितरण में भी कमी आयेगी.

By संपादकीय | April 15, 2021 10:51 AM

कोरोना महामारी की दूसरी लहर अर्थव्यवस्था के लिए फिर ग्रहण बनकर आयी है. हालांकि केंद्र और राज्य सरकारें पाबंदियों को लेकर सचेत हैं, परंतु बीते साल की तरह बेरोजगारी दर बढ़ने लगी है. इस माह की 11 तारीख को खत्म हुए हफ्ते में देश में बेरोजगारी दर 8.58 फीसदी हो गयी, जो 15 हफ्तों में सबसे ज्यादा है. इसकी बड़ी वजह शहरी बेरोजगारी का स्तर 9.81 फीसदी तक पहुंचना है.

यह राहत की बात है कि बीते हफ्ते इसके पहले के हफ्ते की तुलना में ग्रामीण बेरोजगारी दर 8.58 से घटकर आठ फीसदी हो गयी. हमें यह भी ध्यान में रखना होगा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर है और कृषि क्षेत्र में उत्साहवर्द्धक रुझान के बावजूद रोजगार के लिए प्राथमिक निर्भरता शहरी क्षेत्र पर ही है.

पिछले साल के अंत और इस साल के शुरू में कोरोना संक्रमण में कमी आने और पाबंदियों के हटने से अर्थव्यवस्था में सुधार के लक्षण दिखने लगे थे और रोजगार भी बढ़ने लगा था. लेकिन अब फिर हमारा देश, खासकर आर्थिक गतिविधियों के लिहाज से अहम इलाकों में, महामारी की चपेट में है. संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए आशंका जतायी जा रही है कि यह स्थिति कुछ और समय तक रह सकती है. टीकों के उत्पादन, वितरण और उपलब्धता में कुछ मुश्किलें आ रही हैं, पर उम्मीद है कि इसमें जल्दी सुधार हो जायेगा.

टीकाकरण अभियान के विस्तार के साथ ही महामारी के साये से छुटकारा मिलने लगेगा. जानकारों का कहना है कि रोजगार के मोर्चे पर हमें भविष्य को लेकर चिंतित होना चाहिए क्योंकि अगर टीकाकरण की गति नहीं बढ़ी, तो देशभर में खुराक देने में तीन साल का समय लग सकता है. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर भारत समेत अनेक देशों में पिछले साल की तुलना में अधिक गंभीर है.

इस बार संक्रमितों में युवाओं की संख्या अधिक है. ऐसे में रोजगार के क्षेत्र में नकारात्मक असर की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है, सो हमें बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी के लिए तैयार रहना होगा. बाजार के जानकार रेखांकित कर रहे हैं कि सबसे अधिक असर असंगठित क्षेत्र पर पड़ रहा है. संगठित क्षेत्र में खुदरा कारोबार और होटल, यात्रा व पर्यटन प्रभावित हो रहे हैं. बीते साल भी इन्हीं क्षेत्रों को भारी नुकसान हुआ था.

रोजगार उपलब्ध कराने तथा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में योगदान देने में असंगठित क्षेत्र की बड़ी भूमिका है. संगठित क्षेत्र के कारोबार भी एक हद तक इस पर निर्भर हैं. रोजगार में कमी का सीधा असर मांग में गिरावट के रूप में सामने आता है. यदि मांग कम होगी, तो उत्पादन और वितरण में भी कमी आयेगी.

यदि मौजूदा स्थिति बनी रही, तो संगठित क्षेत्र में भी रोजगार घटेगा. ऐसे में सरकार, उद्योग जगत और कारोबारी समुदाय को निकट भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए तथा प्रभावित लोगों की मदद की व्यवस्था करनी चाहिए.

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