महंगाई घटने से बढ़ी दीपावली की खुशियां, पढ़ें, जयंतीलाल भंडारी का आलेख
Diwali : मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के मुद्रास्फीति के परिदृश्य के बारे में रिजर्व बैंक ने कहा है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की अच्छी प्रगति, खरीफ की अधिक बुवाई, जलाशयों में पानी का पर्याप्त स्तर और खाद्यान्नों का पर्याप्त बफर स्टॉक खाद्य पदार्थों की कीमतों को नरम बनाये रखेगा.
Diwali : महंगाई दर में कमी आने और जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) की दरें घटने से दीपावली के त्योहारी बाजार में खरीदारी का अभूतपूर्व परिदृश्य दिखाई दे रहा है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में खुदरा महंगाई की दर घट कर 1.54 प्रतिशत रह गयी. यह इससे पिछले महीने 2.07 प्रतिशत और सितंबर, 2024 में 5.49 फीसदी थी. यानी इस बार सितंबर में खुदरा महंगाई दर विगत आठ साल में सबसे कम रही और यह रिजर्व बैंक के लक्ष्य के निचले स्तर पर पहुंच गयी. खुदरा महंगाई में यह गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों, तेल और वसा, फलों, दालों, अनाज, अंडे, ईंधन और विद्युत की महंगाई में गिरावट के कारण आयी है. मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के मुद्रास्फीति के परिदृश्य के बारे में रिजर्व बैंक ने कहा है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की अच्छी प्रगति, खरीफ की अधिक बुवाई, जलाशयों में पानी का पर्याप्त स्तर और खाद्यान्नों का पर्याप्त बफर स्टॉक खाद्य पदार्थों की कीमतों को नरम बनाये रखेगा.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए दीपावली का उपहार देते हुए कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में 42 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई परियोजनाओं और योजनाओं का शुभारंभ, उद्घाटन और शिलान्यास किया है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि क्षेत्र की दो प्रमुख पहलों, ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ और ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ का शुभारंभ किया, जिनका परिव्यय 35 हजार करोड़ रुपये से अधिक है. प्रधानमंत्री ने कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में 5,450 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की परियोजनाओं का उद्घाटन किया और लगभग 815 रुपये मूल्य की अतिरिक्त परियोजनाओं की आधारशिला रखी.
यह बात महत्वपूर्ण है कि पीएम धन-धान्य कृषि योजना 24 हजार करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू की गयी है, जिसका उद्देश्य कृषि उत्पादकता में वृद्धि, फसल विविधीकरण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाना, सिंचाई सुविधाओं में सुधार और चयनित 100 जिलों में दीर्घकालिक और अल्पकालिक ऋण की उपलब्धता को सुगम बनाना है. जबकि दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के जरिये देश को दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और दालों का आयात खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है. इस बार दीपावली के त्योहारी बाजार में स्थानीय और स्वदेशी वस्तुओं की भी अभूतपूर्व खरीदारी का परिदृश्य दिखाई दे रहा है. जीएसटी में सरलता और इसके चार टैक्स स्लैब को घटाकर पांच और 18 फीसदी किये जाने से भी बाजार को नयी उर्जा मिली है.
पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने देश के नागरिकों को सोशल मीडिया पर पत्र लिखकर कहा कि 22 सितंबर से लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार तथा आयकर में कटौती से लोगों को लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे देशवासी बचत से हुई खुशी के साथ बचत उत्सव मनाते हुए दिखाई देंगे और अनेक परिवारों को अपनी आजीविका कमाने तथा युवाओं के लिए नौकरी के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी. उन्होंने नागरिकों से स्वदेशी उत्पाद खरीदने और दुकानदारों से स्वदेशी उत्पाद बेचने का आग्रह भी किया. वास्तव में ये सब बातें इस बार के दीपावली के त्योहारी बाजार में दिखाई भी दे रही हैं.
आम आदमी और मध्यवर्गीय लोगों को कीमतों में राहत मिलने और लोगों की क्रय शक्ति बढ़ने के साथ बाजार में नकदी प्रवाह भी बढ़ गया है. ट्रंप टैरिफ के कारण जो छोटे उद्योग निर्यात घटने को लेकर चिंतित थे, उन्हें घरेलू उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग से बड़ा सहारा मिल रहा है. इतना ही नहीं, जीएसटी घटने से औद्योगिक उत्पादन बढ़ रहा है और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से लेकर सर्विस सेक्टर तक मांग का बढ़ता हुआ नया अध्याय दिखाई दे रहा है. जीएसटी घटने से देशभर में खपत बढ़ रही है और निर्यात को भी नयी गति मिल रही है. मांग और उत्पादन बढ़ने से जीडीपी बढ़ रही है और रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हो रही है. वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कर की दरों में कमी किये जाने से निजी उपभोग को बढ़ावा मिल रहा है और आर्थिक विकास मजबूत हो रहा है. यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर का अनुमान 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है.
त्योहार के इस सीजन में घरेलू खर्च और खपत बढ़ रही है. खासतौर से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमइ) और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लगभग सभी पदार्थों पर जीएसटी दरों में कमी होने से खाद्य प्रसंस्करण और संबद्ध उद्योगों की बिक्री बढ़ गयी है. त्योहारी बाजार में दोपहिया वाहनों, कारों, बसों और ट्रैक्टरों पर कम जीएसटी से मांग बढ़ गयी है. चाहे आम आदमी के इस्तेमाल की चीजें हों, किसानों से जुड़ी वस्तुएं हों या मध्यवर्ग से संबंधित वस्तुएं, प्रत्येक क्षेत्र में एमएसएमइ को दी गयी बड़ी जीएसटी राहत से त्योहारी बाजार को रफ्तार मिल रही है.
देश में लोगों की क्रय शक्ति बढ़ने और अमेरिका में डॉलर की वैल्यू घटने से चांदी और सोने के भाव भी रिकॉर्ड स्तर पर दिखाई दे रहे हैं. इस बार दीपावली का बाजार जहां करोड़ों लोगों द्वारा स्वदेशी और ‘वोकल फॉर लोकल’ की संकल्प शक्ति के साथ आत्मनिर्भर भारत की डगर पर दिखाई दे रहा है, वहीं इस वर्ष देश के बाजारों में खरीदारों की भीड़ उमड़ने और घरेलू खपत चरम पर रहने का अनुमान है. जहां 2023 में दीपावली के त्योहारी बाजार में 3.75 लाख करोड़ रुपये और 2024 में 4.25 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी हुई थी, वहीं इस बार त्योहारी सीजन के तहत खरीदारी 4.75 लाख करोड़ रुपये के अभूतपूर्व स्तर को छूते हुए दिखाई दे सकती है. निश्चित रूप से देश में 13 अक्तूबर को प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, खुदरा महंगाई दर के घटकर 1.54 प्रतिशत रहने और विगत 22 सितंबर से लागू नयी जीएसटी व्यवस्था और दो स्लैब वाली कर प्रणाली से त्योहारी सीजन में अभूतपूर्व मांग दीपावली को लेकर लोगों की बढ़ी हुई खुशियों का प्रतीक भी है.
यह उम्मीद करें कि देश में घटी हुई महंगाई और घटी हुई जीएसटी की दरों के कारण इस बार की दीपावली एक बचत उत्सव के रूप में स्वदेशी उत्पादों की बिक्री और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हुए देश को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ाने में मील का पत्थर बनते हुए दिखाई देगी.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)
