आसियान के साथ कारोबारी उम्मीदें

सरकार बदले वैश्विक माहौल में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन सहित कुछ और विकसित देशों के साथ सीमित दायरे वाले व्यापार समझौतों पर आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रही है.

By डॉ. जयंतीलाल | November 3, 2021 7:50 AM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रूनेई के सुल्तान हाजी हसनल बोलकिया के साथ भारत-आसियान शिखर बैठक की अध्यक्षता करते हुए वर्ष 2022 को भारत-आसियान मित्रता वर्ष के तौर पर मनाने का फैसला किया है. इससे भारत-आसियान आर्थिक रिश्तों की नयी संभावनाएं बनी हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना काल में भारत और आसियान ने जिस तरह एक-दूसरे को सहयोग किया है, उससे आर्थिक रिश्ते प्रगाढ़ होंगे.

भारत ने आसियान को कोविड से निबटने के लिए दस लाख डॉलर की भी मदद की है. दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसियान में वियतनाम, लाओस, म्यांमार, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रूनेई और कंबोडिया शामिल हैं. पिछले वर्ष 15 देशों के हस्ताक्षर के बाद रीजनल कांप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) ने मूर्तरूप लिया है, भारत उस समझौते में शामिल नहीं हुआ. भारत के मुताबिक आरसीईपी के तहत देश के आर्थिक तथा कारोबारी हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है.

भारत आसियान देशों के साथ नये कारोबारी समझौतों के लिए आगे बढ़ रहा है. साथ ही उन देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को अंतिम रूप देने पर भारत फोकस कर रहा है, जिन्हें भारत के बड़े बाजार की जरूरत है और जो भारत के विशेष उत्पादों के लिए अपने बाजार भी खोलने को उत्सुक हैं. वस्तुतः विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत विश्व व्यापार वार्ताओं में जितनी उलझनें खड़ी हो रही हैं, उतनी ही तेजी से विभिन्न देशों के बीच एफटीए बढ़ते जा रहे हैं.

यह एक अच्छी बात है कि डब्ल्यूटीओ कुछ शर्तों के साथ सीमित दायरे वाले एफटीए की इजाजत भी देता है. एफटीए ऐसे समझौते हैं, जिनमें दो या दो से ज्यादा देश आपसी व्यापार में कस्टम और अन्य शुल्क संबंधी प्रावधानों में एक-दूसरे को तरजीह देने पर सहमत होते हैं. दुनिया में इस समय 300 से ज्यादा एफटीए हैं. भारत ने पिछले 10 वर्षों में किसी बड़े एफटीए पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं. वर्ष 2011 में भारत ने मलेशिया के साथ एफटीए किया था.

इस वर्ष फरवरी में भारत और मॉरीशस के बीच सीमित दायरे वाला एक मुक्त व्यापार समझौता हुआ था. इसके तहत भारत के कृषि, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य 300 से अधिक घरेलू सामानों को मॉरीशस में रियायती सीमा शुल्क पर बाजार में प्रवेश मिल सकेगा. साथ ही मॉरीशस की 615 तरह की वस्तुओं/ उत्पादों के आयात पर भारत में शुल्क कम या नहीं लगेगा. इनमें फ्रोजन मछली, बीयर, मदिरा, साबुन, थैले, चिकित्सा एवं शल्य चिकित्सा उपकरण और परिधान शामिल हैं.

सीमित दायरे वाले ट्रेड एग्रीमेंट मुक्त व्यापार समझौते की तरह बाध्यकारी नहीं होते हैं यानी किसी समस्या को दूर करने का विकल्प खुला होता है. भारत ने पूर्व में जिन देशों के साथ एफटीए किये हैं, उन्हें देखते हुए सीमित दायरे वाले व्यापार समझौते ही बेहतर हैं. आसियान सहित दुनिया के कई देश भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक समझौतों में अपना आर्थिक लाभ अनुभव करते हुए दिखाई दे रहे हैं.

कोविड-19 की आर्थिक चुनौतियों का मुकाबला करते हुए भारत 2021-22 में दुनिया में सबसे अधिक 9-10 फीसदी विकास दर वाले देश के रूप में चिह्नित किया जा रहा है. भारत में डिजिटलीकरण, बुनियादी ढांचा, विनिर्माण, शहरी नवीनीकरण और स्मार्ट शहरों पर बल दिया जा रहा है. आसियान देशों के लिए ऐसे क्षेत्रों में निवेश करने के लिए अच्छे मौके हैं, जिनमें भारत ने उन्नति की है. ये क्षेत्र हैं- डिजिटलीकरण, ई-कॉमर्स, सूचना प्रौद्योगिकी, बायोटेक्नोलॉजी, फार्मास्युटिकल्स, पर्यटन और आधारभूत क्षेत्र.

दुनिया के विभिन्न देशों में यह समझा गया है कि कोविड-19 के बीच भारत के प्रति बढ़ा हुआ वैश्विक विश्वास, आधुनिक तकनीक, घरेलू बाजार, व्यापक मानव संसाधन, वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में दक्षता जैसी अहमियत आर्थिक ऊंचाई दे रही है. इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि कोरोना काल ने एफटीए को लेकर सरकार की सोच बदल दी है. सरकार बदले वैश्विक माहौल में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन सहित कुछ और विकसित देशों के साथ सीमित दायरे वाले व्यापार समझौतों पर आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रही है.

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सितंबर 2021 में अमेरिका की यात्रा और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ वार्ता से भारत के अच्छे आर्थिक और कारोबारी संबंधों की नयी संभावनाओं के परिदृश्य ने भारत और अमेरिका के बीच सीमित दायरे वाले कारोबारी समझौते की संभावनाएं बढ़ायी हैं. मोटे तौर पर भारत और अमेरिका के बीच कारोबार के सभी विवादास्पद बिंदुओं का समाधान कर लिया गया है. भारत ने अमेरिका से जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंसेज (जीएसपी) के तहत कुछ निश्चित घरेलू उत्पादों को निर्यात लाभ फिर से देने और कृषि, वाहन, वाहन पुर्जों तथा इंजीनियरिंग क्षेत्र के अपने उत्पादों के लिए बड़ी बाजार पहुंच देने की मांग की है.

दूसरी ओर अमेरिका भारत से अपने कृषि और विनिर्माण उत्पादों, डेयरी उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों के लिए बड़े बाजार की पहुंच, डेटा का स्थानीयकरण और कुछ सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आइसीटी) उत्पादों पर आयात शुल्कों में कटौती चाहता है. यद्यपि ऑस्ट्रेलिया, ईयू और ब्रिटेन सहित कुछ और देशों के साथ सीमित दायरे वाले एफटीए के लिए चर्चाएं संतोषजनक रूप में हैं. लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं. अब भारत को मुक्त व्यापार समझौते से संबंधित अपनी रणनीति में जरूरी बदलाव देश की कारोबार जरूरतों और वैश्विक व्यापार परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए करना होगा.

हम उम्मीद करें कि 28 अक्तूबर को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भारत-आसियान शिखर बैठक की अध्यक्षता और वर्ष 2022 को भारत-आसियान फ्रेंडशिप वर्ष मनाये जाने के महत्वपूर्ण निर्णय के बाद आसियान देशों के साथ भारत के नये द्विपक्षीय आर्थिक रिश्तों की संभावनाएं आगे बढ़ेंगी. साथ ही भारत दुनिया के विभिन्न देशों के साथ नये सीमित दायरे वाले मुक्त व्यापार समझौतों की डगर पर भी तेजी से आगे बढ़ेगा. खासतौर से आस्ट्रेलिया, अमेरिका, ईयू और ब्रिटेन के साथ सीमित दायरे वाले एफटीए को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप दिया जायेगा. ऐसी वैश्विक और विदेश व्यापार रणनीति से भारत के विदेश-व्यापार के नये अध्याय लिखे जा सकेंगे.

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