अतिक्रमण के शिकार तालाबों का हो जीर्णोद्धार

बिहार हर साल प्राकृतिक आपदा का शिकार होता रहा है, जिसमें बाढ़ और सुखाड़ मुख्य है. इस साल भी जुलाई के प्रथम सप्ताह में मॉनसून की पहली बारिश से कोसी, गंडक, बागमती के अलावा अन्य बरसाती नदियां उफान पर हैं. वहीं, राज्य सरकार ने कुछ ही दिन पहले जानकारी दी थी कि राज्य के ढाई […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 16, 2019 7:43 AM

बिहार हर साल प्राकृतिक आपदा का शिकार होता रहा है, जिसमें बाढ़ और सुखाड़ मुख्य है. इस साल भी जुलाई के प्रथम सप्ताह में मॉनसून की पहली बारिश से कोसी, गंडक, बागमती के अलावा अन्य बरसाती नदियां उफान पर हैं. वहीं, राज्य सरकार ने कुछ ही दिन पहले जानकारी दी थी कि राज्य के ढाई लाख तालाबों में मात्र 30 हजार ही बचे हैं. शेष अतिक्रमण के शिकार हो गये हैं या पूरी तरह धरातल में समा गये हैं.

मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा था कि तालाब के अतिक्रमण करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जायेगी तथा तालाब और कुएं की तलाश कर पुनर्जीवित किया जायेगा. सरकार सभी तालाबों व नहरों को पुनर्जीवित करती है, तो बारिश के जल को समेटा जा सकता है. इससे भू-जल का स्तर भी रिचार्ज होगा. साथ ही खेती करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी आसानी से मिल जायेगा.

नितेश कुमार सिन्हा, मोतिहारी

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