पानी जब कर दे पानी-पानी!

संतोष उत्सुक वरिष्ठ व्यंग्यकार santoshutsuk@gmail.com पानी की बढ़ती कमी के कारण मानवता पानी-पानी हो रही है. ‘नानी याद आना’ मुहावरा जगह-जगह बह रहा है. स्वार्थ की जुगाड़-जंग जारी है. जिसे आराम से पानी मिल जाता है, चुप रहता है. व्यवस्था को नहीं कोसता, पड़ोसी को भी नहीं बताता. डरता है, आता-जाता कहीं मिल गया, तो […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 28, 2019 7:34 AM
संतोष उत्सुक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
santoshutsuk@gmail.com
पानी की बढ़ती कमी के कारण मानवता पानी-पानी हो रही है. ‘नानी याद आना’ मुहावरा जगह-जगह बह रहा है. स्वार्थ की जुगाड़-जंग जारी है. जिसे आराम से पानी मिल जाता है, चुप रहता है.
व्यवस्था को नहीं कोसता, पड़ोसी को भी नहीं बताता. डरता है, आता-जाता कहीं मिल गया, तो आधी बाल्टी पानी मांग ही लेगा. पानी के लिए लाइनें लगी हैं, साफ पानी किसे मिलेगा, के लिए अमेरिकी वीजा की तरह लॉटरी सिस्टम फैसला कर रहा है. तालाबों को दफन करने के बाद अब यज्ञ किये जा रहे हैं. ईश्वर मुस्कुरा रहे हैं. विधायक विधेयक लाने के प्रयास कर रहे हैं, काश वे जादूगर होते, लोगों को हिप्नोटाइज करते और उन्हें लगता हमारे पास बहुत पानी है. लेकिन असलियत का सांप सिहरन पैदा कर देता है.
जनता को हो रही पानी की किल्लत को खबर बनाते हुए बचे-खुचे प्रखर पत्रकार ने प्रशासनिक कुव्यवस्था पर उबलता पानी उड़ेला. लिखा कि पानी की कमी वीआईपी व गणमान्य लोगों को पानी-पानी नहीं कर सकती है. उनकी कारें, लान व कुत्ते रोज नहाते हैं और कई बस्तियों में कई दिन के बाद भी पानी नहीं आता.
एक बाल्टी पानी से पहले परिवार का एक आदमी नहाता है, फिर दूसरा और तीसरा. इसी पानी से कपड़े धोये जा रहे, बर्तन मंज रहे हैं. मंत्रीजी यह समझा रहे हैं कि इस बार ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगायें, ताकि परसों बादल आकर बारिश कर दें. पत्रकार रात को घर जा रहे थे. आईपीएच विभाग के छोटे अफसर थकावट के कारण, कड़वा पानी पिये मिल गये. बात होने की सही स्थिति थी, तो वे बोले, आज हमारे विभाग की जड़ों में खूब तेल डाला.
पत्रकार ने पूछा कि जनता परेशान वीआईपी मजे में हैं, आप पानी का प्रबंधन ठीक क्यों नहीं करते? झूठ बोलने की अवस्था न होने के कारण अफसर बोले, बड़े लोगों के साथ रिश्तों को जिन तरल चीजों से सींचना पड़ता है, आजकल पानी उनमें से खास है. पानी आजकल के सूखे मौसम में ट्रांसफर भी करवा सकता है. इंडिया के ‘वेरी इंडिफरेंट पर्सन’ को सब कुछ चाहिए, भले किसी और को कुछ मिले न मिले.
पानी को अभी भी हम आम वस्तु समझते हैं. उसे बरबाद करते हैं. यह आम वस्तु खास लोगों को खूब चाहिए. पानी बिना कुत्ते, फर्श, गार्डन, लॉन, रास्ता व बैडमिंटन कोर्ट कैसे धुलेगा. कम में काम चल सकता है, लेकिन लाल बत्ती उतरने से क्या फर्क पड़ता है. हमारे ‘वेरी इंटेलीजेंट पर्सन’ को सभी निजी काम सही तरीके से करने आते हैं. रोज न नहायें और धुले कपड़े न पहनें, तो ‘वेरी आइडियलिस्टिक पर्सन’ ताजादम फील नहीं करते.
तरोताजा नहीं होंगे, तो आम जनता का इतना काम कैसे करेंगे. इसलिए पानी की सप्लाई उनके यहां जरूरी है. किट्टी पार्टी में शान से बताना पड़ता है, हमारे यहां तो पानी की कोई कमी नहीं है. ‘वेरी इंडियन पर्सन’ को ऐसा ही होना चाहिए. आईपीएच वाले भैया की बात में गहरा पानी है. यह आम आदमी की हिम्मत है कि पानी बिना भी जिंदगी की मछली पकाता है. जो स्वयं मछली हैं, वे पानी के बाहर कैसे आ सकते हैं.

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