खाद के इस्तेमाल से खत्म हो रही खेतों की उर्वरता

मानव जीवन प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर करता है. उनमें मिट्टी बहुमूल्य है. खाद के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता खत्म हो रही है. मिट्टी का स्वस्थ होना जरूरी है. इसमें मौजूद प्राकृतिक कार्बनिक पदार्थ होते हैं. अगर मिट्टी में एक फीसदी कार्बनिक पदार्थ मौजूद है तो मिट्टी स्वस्थ मानी जाती है. ये कार्बनिक पदार्थ सूक्ष्म […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 14, 2019 6:59 AM
मानव जीवन प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर करता है. उनमें मिट्टी बहुमूल्य है. खाद के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता खत्म हो रही है. मिट्टी का स्वस्थ होना जरूरी है. इसमें मौजूद प्राकृतिक कार्बनिक पदार्थ होते हैं.
अगर मिट्टी में एक फीसदी कार्बनिक पदार्थ मौजूद है तो मिट्टी स्वस्थ मानी जाती है. ये कार्बनिक पदार्थ सूक्ष्म जीवाणु तथा मृत जीवों के अंश, मानव मल आदि होते हैं. भारत में प्राकृतिक रूप से औसतन 0.5 फीसदी कार्बनिक पदार्थ ही मिट्टी में पाये जाते है. अगर मिट्टी स्वस्थ होगी तो उसके कण आपस में जुड़े रहेंगें और बाढ़ में भी मिट्टी का कटाव न्यूनतम होगा, जिससे उसकी ऊपरी व उपजाऊ परत जल के साथ व्यर्थ ही समुद्र में नहीं जायेगी अौर मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी.
आजकल रसायनों अौर कृत्रिम खादों के बढ़ते प्रयोग ने मानव स्वास्थ अौर उपजाऊ मृदा दोनों को नुकसान पहुंचाया है. यही रसायन फसलों और भूगर्भीय जल (पेयजल) के साथ मिलकर मानव शरीर तक पहुंचते हैं, जिससे कैंसर और चमड़े के संबधित अनेक समस्याएं उपन्न होती हैं.
आकाश राज, पटना कॉलेज (पटना)

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