पैसे तो जनता को देने हैं !

स्वर्ण रेखा परियोजना के पिछले चार-पांच दशकों में भी पूरा न होने से इसके बजट में 116 गुणा का इजाफा हुआ हैं. यह संबंधित अधिकारियों की कार्यशैली पर गहरे प्रश्नचिह्न लगाता है. राज्य में सरकार चाहे जिस किसी पार्टी की भी रही हो, भुगतना तो जनता को पड़ता हैं. बजट की राशि का बढ़ना आर्थिक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 16, 2018 7:04 AM
स्वर्ण रेखा परियोजना के पिछले चार-पांच दशकों में भी पूरा न होने से इसके बजट में 116 गुणा का इजाफा हुआ हैं. यह संबंधित अधिकारियों की कार्यशैली पर गहरे प्रश्नचिह्न लगाता है. राज्य में सरकार चाहे जिस किसी पार्टी की भी रही हो, भुगतना तो जनता को पड़ता हैं.
बजट की राशि का बढ़ना आर्थिक अपराध माना जाना चाहिए, क्योंकि यह अंतत: जनता के धन की बर्बादी है. अगर यह परियोजना समय से पूरी हो जाती, तो बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जिन्हें सिंचाई में सुविधा होती. इस लिहाजा से एक नुकसान तो यह हुआ है कि किसानों को समय पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जा सकी. ‍ऊपर से परियोजना की लगत बढ़ गयी. सरकार को इस परियोजना को जल्द-से-जल्द पूरा करना चाहिए.
सीमा साही, बोकारो

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