”आधार” निराधार !

निजी इमेल अकाउंट पर जाने-अनजाने विज्ञापनों की धमक देख कर चौंकना लाजिमी है. कोई सवाल करे उससे पहले ‘ट्राइ’ के अध्यक्ष की सूचनाएं सार्वजनिक हो गयी. वह भी सबसे सुरक्षित कहे जानेवाले ‘आधार’ के आधार पर. अगर हमारा ही ‘आधार’ निराधार हो जाये, तो दावों का क्या होगा? मोबाइल पर आनेवाले अलर्ट्स से पहले ही […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 1, 2018 11:44 PM
निजी इमेल अकाउंट पर जाने-अनजाने विज्ञापनों की धमक देख कर चौंकना लाजिमी है. कोई सवाल करे उससे पहले ‘ट्राइ’ के अध्यक्ष की सूचनाएं सार्वजनिक हो गयी. वह भी सबसे सुरक्षित कहे जानेवाले ‘आधार’ के आधार पर.
अगर हमारा ही ‘आधार’ निराधार हो जाये, तो दावों का क्या होगा? मोबाइल पर आनेवाले अलर्ट्स से पहले ही क्या जानकारियां सार्वजनिक हुई हैं? दावे कुछ भी हो गोपनीयता खुलेआम बाजारों में नीलम हो रही है. आंकड़े चोरी की तकनीक के आगे सारी तकनीक नतमस्तक हैं.
वहीं ‘केवाइसी’ के नाम पर जो सूचनाएं ली जा रही हैं, उस पर डाके नहीं पड़ रहें हैं, इसकी क्या गारंटी है? सच तो यह है कि हम अपने ही बनाये ‘जाल’ में खुद ही उलझते जा रहें हैं. वह दिन दूर नहीं जहां से वापस निकल पाना भी नामुमकिन हो जाये. तरक्की की दौड़ ने हमारी गोपनीयता ही नहीं नींदें भी चुरा रखी हैं.
एमके मिश्रा, रातू, रांची

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