यौन उत्पीड़न केस में बेंच में शामिल होना गलत फैसला, पूर्व CJI ने अपनी किताब में अयोध्या फैसले पर कही ये बात

पूर्व चीफ जस्टिस, जस्टिस गोगोई ने पुस्तक में कहा है कि उन्होंने लगातार एक महीने से भी ज्यादा इस विवादित मसले पर सुनवाई की. लगातार 40 दिन तक सभी पक्षों की दलील सुनी. इसके बाद उन्होंने अपना फैसला सुनाया.

By Prabhat Khabar Print Desk | December 9, 2021 11:08 AM

‘जस्टिस फॉर द जज: एन ऑटोबायोग्राफी’ अपनी किताब में देश के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अयोध्या मसले पर फैसले समेत कई और बातों का जिक्र किया है. पूर्व चीफ जस्टिस, जस्टिस गोगोई ने पुस्तक में कहा है कि उन्होंने लगातार एक महीने से भी ज्यादा इस विवादित मसले पर सुनवाई की. लगातार 40 दिन तक सभी पक्षों की दलील सुनी. इसके बाद उन्होंने अपना फैसला सुनाया. अपने फैसले पर उन्होंने कहा है कि ईश्वरीय प्रेरणा से यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया और सभी पक्षों के लोग उसपर राजी हो गये.

अपनी किताब में देश के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसले के बाद का एक वाक्या का भी जिक्र किया है. उन्होंने बताया कि, 9 नवंबर, 2019 को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में एक सर्वसम्मत फैसला देने के बाद, वो अपने सहयोगियों, जो बेंच का भी हिस्सा थे, के साथ होटल ताज मानसिंह गये थे. वहां सभी रात के खाने के लिए गए थे. उन्होंने कहा कि उन्होंने एक अच्छी शराब का ऑर्डर भी दिया था. यह उनके करियर से जुड़ी कई प्रमुख घटनाओं में से एक है, जिसे गोगोई ने प्रकाश में लाया है.

गौरतलब है कि पूर्व चीफ जस्टिस, जस्टिस गोगोई फिलहाल राज्यसभा में सांसद हैं. उन्होंने आत्मकथा लिखी है. ‘जस्टिस फॉर द जज : एन ऑटोबायोग्राफी, जिसमें उन्होंने कई बातों का जिक्र किया है.

यौन उत्पीड़न केस में बेंच में शामिल होना गलत फैसला: पूर्व सीजेआई ने अपनी किताब में अप्रैल 2019 में लगे यौन उत्पीड़न का भी जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न का मामला जब आया तो वो 20 अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट की विशेष बैठक बुलाई थी और पीठ की अध्यक्षता भी की थी. लेकिन पुस्तक विमोचन के अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें उस पीठ का हिस्सा होने का खेद है. ‘मुझे बेंच पर जज नहीं होना चाहिए था. मैं बेंच का हिस्सा न होता तो शायद अच्छा होता’.

Posted by: Pritish Sahay

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