रूस की वैक्सीन में क्या है खास, दूसरी वैक्सीन से कितना अलग, क्या वैक्सीन पर कभी उठे हैं सवाल ?

वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है कि उनकी वैक्सीन की एफेकसी 91.6 प्रतिशत. यह वैक्सीन गंभीर संक्रमण में भी आपको पूरी सुरक्षा प्रदान करती है. वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर भारत में भी डॉ रेड्डीज ने ट्रायल किया है. इस ट्रायल का उद्देश्य था कि भारत में कोरोना संक्रमितों का असर क्या होता है इसे लेकर स्थिति स्पष्ट हो.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 14, 2021 11:25 AM

देश में तीसरी वैक्सीन आ गयी है. रूस की वैक्सीन स्पूतनिक का वैक्सीनेशन भारत में एक सप्ताह के अंदर शुरू हो जायेगा. सरकार इस दिशा में तैयारी कर रही है. इस वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ- साथ 60 से ज्‍यादा देशों ने मान्यता दी है.

वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है कि उनकी वैक्सीन की एफेकसी 91.6 प्रतिशत. यह वैक्सीन गंभीर संक्रमण में भी आपको पूरी सुरक्षा प्रदान करती है. वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर भारत में भी डॉ रेड्डीज ने ट्रायल किया है. इस ट्रायल का उद्देश्य था कि भारत में कोरोना संक्रमितों का असर क्या होता है इसे लेकर स्थिति स्पष्ट हो.

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इस वैक्सीन को लेकर RDIF ( Russian Direct Investment Fund) के अनुसार इस वैक्सीन से किसी भी तरह की एलर्जी नहीं होती. एक डोज से दूसरी डोज के बीच 21 दिनों का अंतर रखा जाना है. भारत में पहले से कोविशील्ड और कोवैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा. अब यह तीसरी वैक्सीन होगी जिसका इस्तेमाल भारत में किया जायेगा. यह वैक्सीन 60 से ज्यादा देशों में मान्यता प्राप्त है यही कारण है कि दुनिया की 40 फीसद आबादी तक वैक्सीन की पहुंच बतायी जाती है. अब भारत में इस वैक्सीन का इस्तेमाल होगा जहां दूसरे देशों की तुलना में सबसे ज्यादा आबादी है.

वैक्सीन को लेकर अच्छी रिपोर्ट है तो कहीं – कहीं वैक्सीन के डाटा को लेकर सवाल भी खड़ा किया गया है. जर्नल द लैंसेट में छपी रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने डेटा शेयर ना करने को लेकर वैक्सीन पर सवाल खड़ा किया है. वैक्सी की ट्रायल के बाद इसके डेटा को सार्वजनिक तौर पर शोध के लिए उपलब्ध नहीं कराया गया.

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वैज्ञानिकों ने दावा किया कि संभव है कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनी कोई जानकारी छुपाना चाहती हो जबकि वैक्सीन बनाने वालों ने कहा है कि हमने कोई जानकारी नहीं छुपायी और वैक्सीन की बेहतरी का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुनियाभर के देश इसे मान्यता दे चुके हैं.

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