Tribal: गुमनाम आदिवासी नायकों के शौर्य से देश को रूबरू कराता रायपुर का जनजातीय संग्रहालय
आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित यह संग्रहालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल का नतीजा है, जिसके कारण उन गुमनाम आदिवासी, स्वतंत्रता सेनानियों, आदि संस्कृति प्रोजेक्ट,आदी वाणी, स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं के प्रतिरोध जैसी विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं से आम लोगों को परिचित होने का मौका मिल रहा है. संग्रहालय में आधुनिक तकनीक का उपयोग कर विद्रोहों की कहानियों को जीवित किया गया है. यह संग्रहालय इतिहास, परंपरा और आधुनिकता का संगम है, जो आदिवासी समुदाय के गौरवशाली इतिहास को दर्शाता है.
Tribal:देश की आजादी में कई नायकों का योगदान रहा है. इनमें से कई ऐसे नायक रहे जिनके योगदान को भुला दिया गया. खासकर आदिवासी समाज के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हस्तियों को. देश की आजादी में भगवान बिरसा मुंडा, रानी गाइदिनल्यू, सिदो-कान्हू जैसे आदिवासी नायक नायिकाओं के योगदान से लोग परिचित हैं, लेकिन कई ऐसे आदिवासी नायक रहे जिनके योगदान के बारे में आम जन को पता नहीं है.
ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आदिवासी नायकों ने अंग्रेजों की दमनकारी और शोषणकारी नीतियों के खिलाफ कई क्रांति को अंजाम दिया. यह जनजातीय क्रांति आदिवासियों के सांस्कृतिक पहचान और जल-जंगल-जमीन के अधिकार की रक्षा के लिए किया गया. आजादी के बाद अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष में करने वाले ऐसे कई आदिवासी नायकों के योगदान की जानकारी उपलब्ध नहीं है.
मोदी सरकार की कोशिश ऐसे आदिवासी नायकों के योगदान को सामने लाना है और इसके लिए कई स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. ऐसे गुमनाम नायकों के योगदान का दस्तावेजीकरण करने के साथ जनजाति संग्रहालय के निर्माण कर ऐसे नायकों को सम्मान देने का काम कर रही है. इसके अलावा मौजूदा मोदी सरकार जनजाति संस्कृति और विरासत के संरक्षण के लिए कई पहल कर रही है.
इस कड़ी में स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासी नायकों के अमूल्य और असाधारण शौर्य से लोगो को अवगत कराने के लिए 11 जनजाति स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय विकसित कर रही है. जिसमें से चार, झारखंड के रांची, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, जबलपुर और छत्तीसगढ़ के रायपुर का संग्रहालय बन चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनजाति संस्कृति और विरासत के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं.
संग्रहालय की खासियत
छत्तीसगढ़ के रायपुर संग्रहालय का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 नवंबर को किया था. लगभग दस एकड़ में बने शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक एवं जनजाति स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय छत्तीसगढ़ के जनजाति प्रतिरोध की कहानी को बेहद शानदार तरीके से प्रस्तुत किया गया है. आधुनिक तकनीक से बने संग्रहालय में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हलबा क्रांति, सरगुजा क्रांति, भोपालपट्टनम क्रांति, परलकोट क्रांति, तारापुर क्रांति, मेरिया क्रांति, कोई क्रांति, लिंगागिरी क्रांति, मुरिया क्रांति और गुंडाधुर एवं लाल कालिंद्रा सिंह के नेतृत्व में हुई प्रतिष्ठित भूमकाल क्रांति जैसे प्रमुख विद्रोह को डिजिटल और अन्य माध्यम से दर्शाया गया है.
साथ ही महिलाओं का प्रतिरोध जैसे रानी चो-रिस क्रांति (1878) को भी प्रदर्शित करता है. यह महिलाओं के नेतृत्व वाला एक अग्रणी क्रांति थी. शहीद वीर नारायण सिंह और 1857 का विद्रोह में ब्रिटिश अत्याचार के प्रतिरोध और उनकी शहादत का वर्णन किया गया है. साथ ही झंडा सत्याग्रह और जंगल सत्याग्रह में महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलनों में जनजाति भागीदारी को दर्शाया गया है.
संग्रहालय में कुल 16 गैलरी है. इसमें 650 मूर्तियों, डिजिटल कहानी-कथन और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के जरिये देश की जनजाति विरासत के गुमनाम नायकों के योगदान से मौजूदा और भावी पीढ़ी को प्रेरित करना है. इस संग्रहालय में खास टाइल लगायी गयी है. इसका रखरखाव भी सस्ता है और यह कई साल तक खराब नहीं होगा. सरकार की कोशिश आदिवासी कला और संस्कृति को संरक्षित करने की है. आदिवासी नायकों की वंशावली बनाने के साथ भाषा को भी बढ़ावा देने के साथ साहित्य का दस्तावेजीकरण किया जा रहा है.
केंद्र सरकार के अन्य पहल
जनजाति इतिहास और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार आदि संस्कृति परियोजना चला रही है. यह जनजाति कला के लिए एक डिजिटल शिक्षण मंच है, जो विविध जनजाति कला रूपों पर लगभग 100 पाठ्यक्रम मुहैया करा रहा है. साथ ही सामाजिक-सांस्कृतिक जनजाति विरासत पर लगभग पांच हजार क्यूरेटेड दस्तावेज भी उपलब्ध कराता है.
आदि वाणी एक एआई आधारित अनुवाद उपकरण है जो भारत की जनजाति विरासत को संरक्षित करते हुए भाषा के अंतर को समाप्त करता है. यह हिंदी, अंग्रेजी और जनजाति भाषाओं (मुंडारी, भीली, गोंडी, संथाली, गारो, कुई) के बीच कम समय में अनुवाद करने में सक्षम है. जिससे देशी भाषाओं में जानकारी तक पहुंच आसान हुई है. इससे लोककथाओं, मौखिक परंपराओं और सांस्कृतिक ज्ञान को डिजिटाइज़ करने और संरक्षित करने में मदद मिल रही है. इसके अलावा कई अन्य योजना भी चलायी जा रही है.
आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित यह संग्रहालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल का नतीजा है, जिसके कारण उन गुमनाम आदिवासी, स्वतंत्रता सेनानियों, झंडा सत्याग्रह और जंगल सत्याग्रह, आदी संस्कृति प्रोजेक्ट, आदि वाणी, स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं के प्रतिरोध जैसी विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं से आम लोगों को परिचित होने का मौका मिल रहा है. संग्रहालय में आधुनिक तकनीक का उपयोग कर विद्रोहों की कहानियों को जीवित किया गया है. यह संग्रहालय इतिहास, परंपरा और आधुनिकता का संगम है, जो आदिवासी समुदाय के गौरवशाली इतिहास को दर्शाता है.
