लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरी सैलरी मिलेगी या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

supreme court verdict: कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को 54 दिन का पूरा वेतन देने के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.देश की शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कर्मचारी और नियोक्ता(कंपनी) आपस में समझौते से मामला सुलझाए.

By Prabhat Khabar Print Desk | June 12, 2020 12:41 PM

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को 54 दिन का पूरा वेतन देने के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. देश की शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कोरोना महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान अपने श्रमिकों को पूर्ण पारिश्रमिक नहीं देने वाले निजी प्रतिष्ठानों के खिलाफ जुलाई के अंतिम सप्ताह तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाये.

जस्टीस अशोक भूषण, जस्टीस संजय किशन कौल और जस्टीस एम आर शाह की पीठ ने कहा कि उद्योगों और श्रमिकों को एक दूसरे की जरूरत है और उन्हें पारिश्रमिक के भुगतान का मुद्दा एक साथ बैठकर सुलझाना चाहिए.

पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से निजी प्रतिष्ठानों की याचिका पर अपना आदेश सुनाते हुए राज्य सरकारों से कहा कि वे इस तरह के समाधान की प्रक्रिया की सुविधा मुहैया करायें और इस बारे में संबंधित श्रमायुक्त के यहां अपनी रिपोर्ट पेश करें.

इस बीच, केन्द्र को गृह मंत्रालय के 29 मार्च के सर्कुलर की वैधता के बारे में चार सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. इसी सर्कुलर में कहा गया था कि लॉकडाउन के दौरान निजी प्रतिष्ठान अपने कर्मचारियों को पूरा पारिश्रमिक देंगे. पीठ ने इस सर्कुलर की वैधता को चुनौती देने वाली तमाम कंपनियों की याचिकाओं को अब जुलाई के अंतिम सप्ताह में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया है.

चीफ जस्टिस भूषण ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमने कंपनियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है. इस पर पहले के आदेश जारी रहेंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एमएसएमई (MSMEs) सहित कई कंपनियों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर अपना ये फैसला सुनाया, जिसमें लॉकडाउन के 54 दिनों की अवधि के दौरान कर्मचारियों को पूर्ण वेतन और भुगतान करने के गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी गयी थी.

Posted By: Utpal kant

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