‘वायरस से ज्यादा खतरनाक मन में बैठा डर है’ सुप्रीम कोर्ट का कोरोना मामले की सुनवाई पर कमेंट

Coronavirus से ज्यादा इसको लेकर लोगों के मन में बैठा डर खतरनाक है. ये बातें Supreme Court के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने Corona मामले पर सुनवाई के दौरान कही. दरअसल, लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से पलायन कर रहे मजदूरों के लिए दाखिल याचिका पर आज सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा.

By AvinishKumar Mishra | March 31, 2020 3:07 PM

नयी दिल्ली : कोरोनावायरस से ज्यादा इसको लेकर लोगों के मन में बैठा डर खतरनाक है. ये बातें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कोरोना मामले पर सुनवाई के दौरान कही. दरअसल, लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से पलायन कर रहे मजदूरों के लिए दाखिल याचिका पर आज सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा.

चीफ जस्टिस एसए बोबडे और नागेश्वर राव की बैंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने कहा, ‘सरकार की ओर से 6 लाख 63 हजार लोगों को लॉकडाउन के दौरान आश्रय दिया गया है. वहीं 22 लाख 88 हजार लोगों तक मुफ्त भोजन और जरूरी सामान पहुंचाई जा रही है.’

एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट को बतायाकि अब कोई भी सड़क पर नहीं है, जिसके बाद जस्टिस नागेश्वर राव ने सरकार से कहा कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों तक सही जानकारी पहुंचाई जाए. भ्रम की स्थिति किसी भी सूरत में नहीं होनी चाहिए

सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि लोगों में डर रोकने के लिए सरकार भजन कीर्तन कराये, धार्मिक नेताओं को बुलाये, गांव जाकर सभी को इसके बारे में बताये. इसके अलावा अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि फेक न्यूज फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाये. साथ ही आश्रय गृह के संचालन का कार्य पुलिस के बजाय वॉलिंटियर को दी जाये, जिससे आश्रय गृह में रहने वालों के साथ बलपूर्वक कोई कार्रवाई न हो.

अदालत ने साथ ही सरकार से कहा कि गर्मी आने वाली है, इसलिए आश्रय में रहने वालों के लिए भोजन, दवाई का प्रबंध रखा जाए और इनको किसी भी तरह की समस्या और परेशानी नहीं होनी चाहिए. याचिककर्ता द्वारा सेनेटाइज करने की मांग पर तुषार मेहता ने कहा कि सार्वजनिक जगहों पर यह किया जा रहा है, लेकिन किसी व्यक्ति के ऊपर यह संभव नहीं है. साथ ही कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई सात अप्रैल तक के लिए टाल दी.

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