1171 जवानों की शहादत, 3000 से अधिक घायल… आखिर क्या था ऑपरेशन पवन?

Operation Pawan: भारतीय सेना के शौर्य की कई कहानियों को आपने सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है कि एक ऐसा अभियान भी हमारी सेना ने किया था जहां उनको 1000 से जवानों की जान गंवानी पड़ी थी. आखिर क्या था ऑपरेशन पवन और क्यों इसे सबसे चुनौतीपूर्ण मिशनों में से एक माना जाता है?

By Ayush Raj Dwivedi | November 25, 2025 9:47 AM

Operation Pawan: ऑपरेशन ब्लू स्टार, कारगिल युद्ध या ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जरूर सुना होगा, लेकिन शायद ही कभी ऑपरेशन पवन का नाम सुना हो. इस अभियान में भारत ने आजादी के बाद पहली बार किसी विदेशी भूमि पर बड़ा सैन्य हस्तक्षेप किया था. श्रीलंका में चल रहे गृहयुद्ध को रोकने और शांति स्थापित करने के लिए शुरू किए गए इस अभियान में भारतीय सेना ने भारी कीमत चुकाई थी.

इस अभियान में 1,171 भारतीय जवान शहीद हुए और 3,500 से अधिक घायल हुए थे. इसके बावजूद ऑपरेशन पवन को वर्षों तक वह पहचान नहीं मिली जिसकी वह हकदार था. आज पहली बार इस अभियान के शहीदों को आधिकारिक तौर पर याद किया जा रहा है. आज सुबह चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ उपेंद्र द्विवेदी ने नेशनल वॉर मेमोरिल जाकर शहीदों को याद किया.

राजीव गांधी के सरकार हुआ था ऑपरेशन पवन

1987 में राजीव गांधी सरकार ने श्रीलंका में तमिलों और सिंहला समुदाय के बीच बढ़ते संघर्ष को रोकने के उद्देश्य से भारतीय शांति सेना (IPKF) को वहां भेजने का फैसला लिया. इसका मकसद था तमिल उग्रवादी संगठन लिट्टे (LTTE) को हथियार डालने के लिए तैयार करना और श्रीलंका में स्थिरता बहाल करना. शुरुआत में यह एक शांतिपूर्ण तैनाती के रूप में देखा गया, लेकिन जल्द ही हालात उलट गए. लिट्टे ने समझौता तोड़ दिया और भारतीय जवानों पर ही हमले शुरू कर दिए. इसके साथ ही श्रीलंका के गहरे जंगलों, झाड़ियों और दुर्गम इलाकों में एक खूनी संघर्ष की शुरुआत हो गई.

भारतीय सेना के लिए चुनौतीपूर्ण

अक्टूबर 1987 से मार्च 1990 तक चलने वाला यह अभियान भारतीय सेना के इतिहास में सबसे चुनौतीपूर्ण अभियानों में से एक साबित हुआ. गुरिल्ला युद्ध की रणनीतियाँ, छिपे हुए बंकर, समुद्री हमले और लिट्टे के आधुनिक हथियारों ने इस लड़ाई को और भी खतरनाक बना दिया. कई बार हालात इतने बदतर हो जाते थे कि भारतीय जवान अपने साथियों के शव भी वापस नहीं ला पाते थे.