Yuva Diwas 2021: शिकागो भाषण से पहले स्वामी विवेकानंद ने मांगी भीख, मालगाड़ी के डिब्बे में गुजारनी पड़ी थी रात

Yuva Diwas 2021: स्वामी विवेकानंद की जयंती पर 12 जनवरी को ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ मनाया जाता है. स्वामी विवेकानंद का जिक्र छिड़ते ही 11 सितंबर 1893 में को शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में उनके भाषण की याद आ जाती है. यह भाषण विवेकानंद के जिंदगी की ऐतिहासिक घटना थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2021 11:08 AM

Yuva Diwas 2021: स्वामी विवेकानंद की जयंती पर 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है. इसका मतलब है- स्वामी विवेकानंद जी के दर्शन, जीवन, कार्य और उनके आदर्शों से युवाओं को प्रेरित करना. इसी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय युवा दिवस का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. स्वामी विवेकानंद का जिक्र छिड़ते ही 11 सितंबर 1893 में शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में उनके भाषण की याद आ जाती है. शिकागो का भाषण स्वामी विवेकानंद की जिंदगी की ऐतिहासिक घटना थी.

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विश्व धर्म सम्मेलन में ऐतिहासिक भाषण

आज से 128 साल पहले शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद ने ऐतिहासिक भाषण दिया था. उन्होंने भाषण की शुरुआत मेरे अमेरिकी भाईयों और बहनों से की थी. इसके बाद अगले कुछ मिनटों तक सभागार तालियों से गूंजता रहा था. स्वामी जी पहले शिकागो में भाषण देने नहीं जाना चाहते थे. शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में भाषण देने से पहले स्वामी विवेकानंद को कई तरह की दिक्कतें हुई थीं. जब स्वामी विवेकानंद का जहाज शिकागो पहुंचा तो उनका सामना हड्डी जमाने वाली ठंड से हुआ था.

जब मालगाड़ी के डिब्बे में गुजारी रात…

विवेकानंद जी ने खुद लिखा है मुंबई से रवाना होने के दौरान उनके दोस्तों के दिए कपड़े नॉर्थ वेस्ट अमेरिका की कड़ाके की ठंड के लायक नहीं थे. शायद, मेरे दोस्तों को वहां की ठंड का अनुमान नहीं था. स्वामी जी विदेशी धरती पर अकेले थे. वो सम्मेलन के पांच हफ्ते पहले पहुंचे थे. शिकागो जैसे महंगे शहर में रहने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे. कड़ाके की सर्दी से बचने के लिए विवेकानंद यार्ड में खड़ी मालगाड़ी के डिब्बे में सोने को मजबूर थे. उनसे धर्म संसद समिति के अध्यक्ष का पता भी खो गया था.

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स्वामी विवेकानंद को मांगनी पड़ी भीख

भूख लगने पर स्वामी विवेकानंद जी पास के धनी इलाके लेकशोर ड्राइव में भीख मांगने भी गए थे. लोग उन्हें चोर-डाकू समझकर भगा देते थे. उन्हें हर तरफ से तिरस्कार ही मिला. उनका मन भारत लौटने का करने लगा था. इतने कष्ट के बावजूद उन्होंने मौका नहीं छोड़ने की ठानी. स्वामी विवेकानंद की हिम्मत उनके साथ थी. वो एक पार्क में जाकर बैठ गए थे. अगले दिन उन्होंने विश्व धर्म सम्मेलन में ऐतिहासिक भाषण दिया था. इसके बाद नवंबर 1894 में विवेकानंद ने न्यूयॉर्क में वेदांत सोसायटी की स्थापना की थी.

Posted : Abhishek.

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