जीडीपी की जगह ‘डीपी’ पर जोर’, ‘जी’ भुला दिया, लोकसभा में महुआ मोइत्रा ने यूं कसा पीएम मोदी पर तंज

महुआ मोइत्रा ने कहा कि महत्वपूर्ण चीजों की अनदेखी करने की अजीबोगरीब आदत है और उसका ध्यान आने वाली सुर्खियों की ओर रहता है. इसलिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की जगह डीपी पर जोर दिया जा रहा है जिसमें ‘जी' को भुला दिया गया.

By Agency | August 6, 2022 9:44 AM

तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा एक बार फिर चर्चा में आ गईं हैं. इस बार उन्होंने फिर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला किया है. दरअसल, लोकसभा में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि अक्षय ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने में बड़ी अर्थव्यवस्थाएं और विकसित देश भारत से पीछे हैं क्योंकि सरकार पर्यावरण की चिंता के साथ ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रही है. इस चर्चा में महुआ मोइत्रा ने भी भाग लिया.

विधेयक अच्छा है और सही दिशा में उठाया जा रहा कदम है: महुआ मोइत्रा

चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने विधेयक को अच्छा बताया लेकिन सरकार पर खबरों में बने रहने के लिए महत्वपूर्ण चीजों की अनदेखी करने का तंज भी कसा. उन्होंने कहा कि विधेयक अच्छा है और सही दिशा में उठाया जा रहा कदम है. लेकिन इस सरकार की महत्वपूर्ण चीजों की अनदेखी करने की अजीबोगरीब आदत है और उसका ध्यान आने वाली सुर्खियों की ओर रहता है. इसलिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की जगह डीपी पर जोर दिया जा रहा है जिसमें ‘जी’ को भुला दिया गया. लेकिन ऊर्जा संरक्षण में ऐसा नहीं होना चाहिए.

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सोशल मीडिया डीपी पर तिरंगा लगाने पर तंज

महुआ मोइत्रा का इशारा संभवत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देश की जनता से सोशल मीडिया डीपी पर तिरंगा लगाने की अपील की ओर था. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ ही इसके संग्रहण पर जोर देना चाहिए और इस बाबत स्थानीय बैटरी विनिर्माताओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में सूरज निकलने और अस्त होने के अलग-अलग समय और लोगों को बिजली की अधिक जरूरत वाले समय की भिन्नता पर ध्यान देने की अपील सरकार से की.

उद्योगों के लिए बड़ी चुनौती अक्षय ऊर्जा

आगे महुआ मोइत्रा ने कहा कि सरकार को पांच स्टार वाले एयर कंडीशनर के विनिर्माण पर और उपभोक्ताओं द्वारा इनके इस्तेमाल पर जोर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस विधेयक को देखें तो उद्योगों के लिए बड़ी चुनौती अक्षय ऊर्जा को लेकर नियामक रूपरेखा की है क्योंकि हर राज्य में इस लिहाज से मानक बदलते रहते हैं.

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