मद्रास हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, 18 साल की होने वाली लड़की के सहमित से बनाया यौन संबंध अपराध नहीं

Madras High Court: मद्रास हाईकोर्ट ने कोयंबटूर की ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटते हुए एक युवक को बरी किया, जिस पर 18 साल से 19 दिन कम उम्र की लड़की से सहमति से संबंध बनाने का आरोप था. कोर्ट ने कहा, लड़की पर दबाव नहीं था और वह संबंध समझने में सक्षम थी.

By Shashank Baranwal | August 17, 2025 11:48 AM

Madras High Court: मद्रास हाईकोर्ट ने कोयंबटूर की एक ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए POCSO एक्ट के तहत दोषी ठहराए गए युवक को बरी कर दिया है. उस पर 18 साल से 19 दिन कम उम्र की लड़की के साथ सहमति से यौन संबंध बनाने का आरोप था. ट्रायल कोर्ट ने उसे पांच साल की सजा सुनाई थी.

लड़की की उम्र को लेकर कोई संदेह नहीं

जस्टिस जी.के. इलांथिरयन ने कहा कि साक्ष्य से यह साबित नहीं होता कि युवक ने लड़की को बहलाया या जबरन अपने साथ ले गया. साथ ही लड़की का परिवार भी उसके प्रेम संबंध से वाकिफ था. कोर्ट ने साफ किया कि पीड़िता घटना के समय अपने कृत्य को समझने में सक्षम थी और उसकी उम्र को लेकर भी संदेह नहीं किया जा सकता है.

बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का दिया हवाला

इस दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया था कि यदि यौन संबंध सहमति से बने हों तो इसे जबरन नहीं माना जा सकता. अदालत ने यह भी कहा कि लड़की ने अपनी गवाही में कहीं भी जबरदस्ती या असहमति का आरोप नहीं लगाया है.

क्या है मामला?

यह मामला साल 2020 का है. लड़की कॉलेज की छात्रा थी. एक दिन घर में माता-पिता के न रहने पर उसने अपने प्रेमी को बुलाया था. दोनों ने यौन संबंध बनाए और बाद में दादा-दादी के घर चले गए. दरअसल, लड़की के माता-पिता उसकी शादी एक 40 वर्षीय रिश्तेदार से करना चाहते थे, जो पहले से शादीशुदा था. हाई कोर्ट ने आरोपी को सभी आरोपों से बरी करते हुे कहा कि अगर उसने कोई जुर्माना भरा है तो उसे वापस किया जाए और अगर बेल बॉन्ड भरा है तो उसे रद्द कर दिया जाए.