Lalu Yadav Family Dispute : रोहिणी आचार्य ने एक्स पर लिखी ये बात, कांग्रेस ने दी प्रतिक्रिया
Lalu Yadav Family Dispute : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने महिला सशक्तीकरण पर ऑफिशियल एक्स हैंडल पर विचार व्यक्त किये हैं. इसपर कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने प्रतिक्रिया दी है.
Lalu Yadav Family Dispute : कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने रोहिणी आचार्य के बिहार सीएम नीतीश कुमार को लिखे पत्र पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि पुरुष प्रधान सोच किसी एक जगह या राज्य की समस्या नहीं, बल्कि एक मानसिकता है. भारत में कहीं पितृसत्तात्मक तो कहीं मातृसत्तात्मक व्यवस्था चलती है. भगत ने कहा कि ऐसी सोच प्रशासनिक आदेशों से नहीं बदलती. सरकार सुरक्षा तो दे सकती है, लेकिन लोगों की मानसिकता बदलना सामाजिक प्रक्रिया है, जो समय और जागरूकता से ही संभव होती है.
#WATCH | Delhi | On Rohini Acharya's letter to Bihar CM Nitish Kumar, Congress MP Sukhdeo Bhagat says, "… This mentality of male chauvinism is not about a place or a state, it's a mindset. There are places in India where a patrilineal structure of succession is followed, and… pic.twitter.com/zmIn6XrHcY
— ANI (@ANI) December 12, 2025
लड़कियों के लिए मायके बने सुरक्षित जगह, जहां वह कभी भी आ सके : रोहिणी
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने महिला सशक्तीकरण पर विचार व्यक्त किये हैं. अपने गुरुवार को अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल पर लिखा है कि प्रत्येक बेटी को इस आश्वासन के साथ बड़े होने का अधिकार है कि उसका मायका एक ऐसा सुरक्षित स्थान है ,जहां वह बिना किसी डर, अपराधबोध, शर्म या किसी को कोई स्पष्टीकरण दिए बिना लौट सकती है. इस उपाय को लागू करना केवल एक प्रशासनिक दायित्व नहीं है, बल्कि अनगिनत महिलाओं को भविष्य में होने वाले शोषण और उत्पीड़न से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.रोहिणी ने लिखा है कि लड़कियों को 10,000 रुपये देना या साइकिलें बांटना, भले ही नेक इरादे से किया गया हो, लेकिन ये भारत में महिलाओं के सशक्तीकरण में बाधा डालने वाले व्यवस्थागत मुद्दों को हल करने के मद्देनजर अपर्याप्त है.
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लड़कियों को 10,000 रुपये देना या साइकिलें बांटना, भले ही नेक इरादे से किया गया हो, लेकिन ये भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण में बाधा डालने वाले व्यवस्थागत मुद्दों को हल करने के मद्देनजर अपर्याप्त है। सरकार और समाज का यह प्रथम दायित्व होना चाहिए कि वह बेटियों के समान अधिकारों की…
— Rohini Acharya (@RohiniAcharya2) December 11, 2025
आगे उन्होंने लिखा कि सरकार और समाज का यह प्रथम दायित्व होना चाहिए कि वह बेटियों के समान अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए. ये कदम खासकर सामाजिक और पारिवारिक उदासीनता के मद्देनजर उठाये जाने चाहिए. उन्होंने लिखा है कि बिहार में गहरी जड़ें जमा चुकी पितृसत्तात्मक मानसिकता सामाजिक और राजनीतिक दोनों क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता पैदा करती है. गौरतलब है कि चुनाव के दौरान रोहिणी आचार्य विभिन्न पारिवारिक वजहों के बीच अपने मायके यानी माता-पिता के सरकारी आवास से निकल गयी थीं. इसको लेकर बड़े स्तर पर सियासी बवाल खड़ा हो गया था.
