JNUSU Elections Result 2025: वाम गढ़ में ABVP की सेंध, AISA-डीएसएफ के नीतीश बने अध्यक्ष
JNUSU Elections Result 2025: जेएनयू छात्र संघ चुनाव 2024-25 में एक बार फिर वामपंथी दलों ने अपना वर्चस्व साबित किया है. ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फ्रंट (DSF) के गठबंधन ने चार में से तीन केंद्रीय पदों पर जीत दर्ज की. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव के पदों पर AISA-DSF गठबंधन के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की, जबकि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने संयुक्त सचिव पद पर कड़ा मुकाबला जीतते हुए एक दशक बाद केंद्रीय पैनल में वापसी की है.
JNUSU Elections Result 2025: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र संघ चुनावों के नतीजे रविवार देर रात घोषित हुआ. जिसमें वामपंथी गठबंधन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फ्रंट (DSF) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए केंद्रीय पैनल की चार में से तीन सीटों पर कब्ज़ा जमाया. वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने सीट जीतकर एक दशक में पहली बार केंद्रीय पैनल में वापसी की.
चार प्रमुख पदों पर विजेता इस प्रकार रहे:
- अध्यक्ष (President): नितीश कुमार (AISA+DSF) – 1702 वोट
(निकटतम प्रतिद्वंदी शिखा, ABVP – 1430 वोट) - उपाध्यक्ष (Vice-President): मनीषा (DSF) – 1150 वोट
(निकटतम प्रतिद्वंदी नितु, ABVP – 1116 वोट) - महासचिव (General Secretary): मुन्तेहा (DSF) – 1520 वोट
(निकटतम प्रतिद्वंदी कुणाल राय, ABVP – 1406 वोट) - संयुक्त सचिव (Joint Secretary): वैभव मीना (ABVP) – 1518 वोट
(निकटतम प्रतिद्वंदी नरेश, AISA+DSF – 1433 वोट)
इस बार मतदान 26 अप्रैल, शुक्रवार को हुआ, जिसमें 69.6% छात्रों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. यह आंकड़ा पिछले साल के 73% से थोड़ा कम है, लेकिन फिर भी 2012 के बाद से सबसे ऊंचा रहा. कुल 7,906 योग्य मतदाताओं में से लगभग 5,500 छात्रों ने वोट डाले.
दिलचस्प बात यह रही कि इस साल यूनाइटेड लेफ्ट फ्रंट विभाजित हो गया. AISA ने DSF के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, जबकि स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने AISF, BAPSA और PSA के साथ गठबंधन किया. इसके बावजूद AISA-DSF गठजोड़ ने चुनावी बाज़ी मार ली.
ABVP की शानदार वापसी
2016 के बाद पहली बार ABVP ने JNUSU के केंद्रीय पैनल में कोई पद जीता है. संयुक्त सचिव पद पर वैभव मीना की जीत संगठन के लिए एक बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है. जेएनयू छात्र राजनीति के इस चुनाव में जहां एक ओर वामपंथी ताकतों ने अपना दबदबा बरकरार रखा वहीं ABVP ने भी यह साबित कर दिया कि वह वापसी की राह पर है.
