मौजूदा रेटिंग में JNU अब भी नंबर एक विश्वविद्यालय, आंदोलनों के बावजूद अकादमिक प्रदर्शन बेहतरीन रहा : कुलाधिपति वीके सारस्वत

Jawaharlal Nehru University News जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के कुलाधिपति वीके सारस्वत (JNU Chancellor VK Saraswat) ने शुक्रवार को कहा कि वह एक बहुत अच्छा संस्थान है और वहां जो कुछ भी होता है, वह उसकी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक हिस्सा होता है, जिसका वह पालन करता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी लोकतंत्र में मुद्दे हमेशा रहेंगे. वीके सारस्वत ने कहा कि देश में भी, जहां कहीं सरकार बदलाव करती है, लोग आंदोलन का सहारा लेते हैं और यह लोकतंत्र का हिस्सा है. वह नीति अयोग के सदस्य भी हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 19, 2021 7:52 PM

Jawaharlal Nehru University News जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के कुलाधिपति वीके सारस्वत (JNU Chancellor VK Saraswat) ने शुक्रवार को कहा कि वह एक बहुत अच्छा संस्थान है और वहां जो कुछ भी होता है, वह उसकी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक हिस्सा होता है, जिसका वह पालन करता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी लोकतंत्र में मुद्दे हमेशा रहेंगे. वीके सारस्वत ने कहा कि देश में भी, जहां कहीं सरकार बदलाव करती है, लोग आंदोलन का सहारा लेते हैं और यह लोकतंत्र का हिस्सा है. वह नीति अयोग के सदस्य भी हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से बातचीत में जेएनयू के कुलाधिपति वी के सारस्वत कहा कि जेएनयू एक बहुत अच्छा संस्थान है. वहां जो कुछ भी होता है वह उसकी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा होता है जिसका वे पालन करते हैं और किसी भी लोकतंत्र में मुद्दे हमेशा रहेंगे. सारस्वत ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों और आंदोलनों के बावजूद विश्वविद्यालय का अकादमिक प्रदर्शन बेहतरीन रहा है.

जेएनयू के कुलाधिपति वी के सारस्वत ने कहा कि मौजूदा रेटिंग में जेएनयू (JNU) अब भी नंबर एक विश्वविद्यालय है. इसलिए उस सीमा तक, मैं कहूंगा कि जेएनयू एक अच्छा विश्वविद्यालय है और जिस तरह से हमने विश्वविद्यालय परिसर में हिंसा के मुद्दों को संभाला है, मैं कहूंगा कि अच्छा काम किया गया था. इस विश्वविद्यालय को लंबे समय से वामपंथ का गढ़ माना जाता रहा है और वामपंथ से जुड़े छात्र संगठनों के छात्र ही परिसर में ज्यादातर चुनाव जीते हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र इकाई एबीवीपी सहित भाजपा और विभिन्न हिंदुत्ववादी समूहों का अक्सर दावा रहा है कि राष्ट्रविरोधी भावनाओं वाले समूहों को परिसर में वाम से जुड़े समूहों से समर्थन मिला है. अतीत में कई बार उनके बीच हिंसक झड़पें भी हुई हैं.

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