ISRO ने पेश किया भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन BAS का मॉडल, 2028 में होगा लॉन्च

National Space Day: राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025 पर इसरो ने पहली बार भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का मॉडल पेश किया. 2028 तक BAS-01 मॉड्यूल लॉन्च करने और 2035 तक पूरा स्टेशन तैयार करने का लक्ष्य है. यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित होगा और भारत को वैश्विक स्पेस लीडर बनाएगा.

By Shashank Baranwal | August 23, 2025 10:16 AM

National Space Day: राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के दो दिवसीय समारोह के दौरान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पहली बार भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station– BAS) का मॉड्यूल पहली बार दुनिया के सामने सार्वजनिक किया है. इस दिवस को मनाने की शुरूआत साल 2024 से हुई है. ऐसे में इस साल यह दूसरी बार मनाया जा रहा है. इस दिवस के मौके पर नई दिल्ली के भारत मंडपम में कार्यक्रम को आयोजित किया गया है.

2028 में BAS-01, 2035 तक पूरा स्टेशन

ISRO का लक्ष्य है कि 2028 तक BAS का पहला मॉड्यूल BAS-01 अंतरिक्ष में स्थापित किया जाए और 2035 तक पूरा स्टेशन तैयार हो. इसके बाद भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल होगा जिनके पास अपना स्पेस स्टेशन है.

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन क्या होगा खास?

BAS पृथ्वी से 450 किलोमीटर ऊपर लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित होगा. वर्तमान में दुनिया में सिर्फ दो स्टेशन हैं –

  • इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS)- अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान और कनाडा का संयुक्त प्रोजेक्ट.
  • तियांगोंग स्टेशन- चीन का स्पेस स्टेशन.

BAS पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित होगा. 2035 तक इसमें पांच मॉड्यूल जुड़ेंगे, जो इसे एक पूर्ण अंतरिक्ष प्रयोगशाला बनाएंगे.

BAS-01 मॉड्यूल की विशेषताएं

  • वजन- 10 टन
  • आकार- 3.8 मीटर चौड़ा, 8 मीटर लंबा
  • ऑर्बिट- पृथ्वी से 450 किमी ऊपर
  • तकनीक- भारत डॉकिंग सिस्टम, भारत बर्थिंग मैकेनिज्म और स्वचालित हैच सिस्टम
  • ECLSS सिस्टम- ऑक्सीजन, पानी और तापमान नियंत्रण
  • व्यूपोर्ट्स- तस्वीरें और मनोरंजन के लिए खिड़कियां
  • सुरक्षा- रेडिएशन और स्पेस डेब्रिस से बचाव
  • अंतरिक्ष सूट और एयरलॉक- स्पेसवॉक (EVA) के लिए
  • प्लग-एंड-प्ले एवियोनिक्स- आधुनिक अपग्रेडेबल इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम
National space day

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन मिशन का उद्देश्य

BAS का मकसद सिर्फ अंतरिक्ष स्टेशन बनाना नहीं बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना है. इसमें माइक्रोग्रैविटी रिसर्च, जीवन विज्ञान, दवा और तकनीक परीक्षण, अंतरग्रहीय खोज, अंतरिक्ष पर्यटन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे उद्देश्य शामिल हैं.

भारत का अंतरिक्ष भविष्य

  • गगनयान मिशन (2026)- पहला मानव मिशन अंतरिक्ष में भेजा जाएगा.
  • चंद्रयान-4 (2028)- चंद्रमा से सैंपल लाने का मिशन.
  • शुक्रयान (2025-26)- शुक्र ग्रह का अध्ययन.
  • स्पेस टूरिज्म- BAS के जरिए भारत वाणिज्यिक अंतरिक्ष पर्यटन के बाजार में उतरेगा.

चुनौतियां और अवसर

  • चुनौतियां- 20,000 करोड़ रुपये की लागत, तकनीकी जटिलता, अंतरराष्ट्रीय नियम और स्पेस डेब्रिस.
  • अवसर- भारत को वैश्विक अंतरिक्ष नेतृत्व, मेक इन इंडिया को बढ़ावा और निजी कंपनियों की भागीदारी.