भारत-चीन के बीच 10 घंटे तक चली कोर कमांडर स्‍तरीय वार्ता, LAC पर तनाव घटाने पर जोर

भारत और चीन की सेनाओं की मंगलवार को करीब 10 घंटे तक कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई. बैठक के बाद एक दिन बाद सेना के सूत्रों से खबर आ रही है कि दोनों देशों के बीच सीमा पर सेना के पीछे हटने संबंधी वार्ता हुई और एलएसी पर तनाव घटाने के लिए दोनों पक्षों में प्रतिबद्धता भी दिखी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 1, 2020 5:29 PM

नयी दिल्‍ली : भारत और चीन की सेनाओं की मंगलवार को करीब 10 घंटे तक कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई. बैठक के बाद एक दिन बाद सेना के सूत्रों से खबर आ रही है कि दोनों देशों के बीच सीमा पर सेना के पीछे हटने संबंधी वार्ता हुई और एलएसी पर तनाव घटाने के लिए दोनों पक्षों में प्रतिबद्धता भी दिखी.

सेना सूत्रों के हवाले से खबर है कि भारतीय, चीनी सेनाओं ने प्राथमिकता के साथ जल्द, चरणबद्ध और क्रमिक तरीक से तनाव घटाने पर जोर दिया. इसके अलावा, सूत्रों ने बताया, आपसी सहमति योग्य समाधान पर पहुंचने के लिए सैन्य, कूटनीतिक स्तर पर और बैठकें होने की संभावना है. हालांकि सूत्रों से बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पीछे हटने की प्रक्रिया जटिल है.

बैठक के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने इलाके में चीन के नये दावे पर चिंता जताई है और पुरानी स्थिति बहाल करने और तत्काल चीनी सैनिकों को गलवान घाटी, पेंगोंग सो और अन्य इलाकों से वापस बुलाने की मांग की.

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सरकारी सूत्रों ने बताया कि वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चुशूल सेक्टर में भारत की तरफ हुई. बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई और रात नौ बजे तक चलती रही. वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत सैन्य जिले के मेजर जनरल लियु लिन ने किया.

सूत्रों ने बताया कि भारतीय पक्ष ने सीमा से जुड़े मुद्दों के समाधान के दोनों देशों के बीच हुए समझौतों के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि बातचीत के केंद्र में तनाव को कम करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देना था.

पांच मई को दोनों सेनाओं के बीच शुरू हुए तनाव के बाद कोर कमांडर स्तर की यह तीसरी वार्ता है. पहले दो दौर की वार्ताओं में भारतीय पक्ष ने इलाके के विभिन्न स्थानों से तत्काल चीनी सैनिकों को हटाने की मांग की थी. उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख के विभिन्न स्थानों पर गत सात हफ्ते से भारत और चीन के सेनाओं के बीच तनाव है और यह तनाव और बढ़ गया जब 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए.

चीनी पक्ष को भी नुकसान हुआ लेकिन उसने इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की. दोनों पक्षों के बीच 22 जून को हुई वार्ता में पूर्वी लद्दाख में तनाव वाले सभी स्थानों पर पीछे हटने को लेकर परस्पर सहमति बनी थी. पहले दो दौर की बातचीत एलएसी के पास चीनी जमीन पर मोल्दो में हुई थीं.

गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद सरकार ने सशस्त्र बलों को 3500 किलोमीटर लंबी एलएसी के पास चीन के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने की पूरी छूट दे दी है. पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों में बयान जारी कर कहा था कि तनाव के लिए चीन जिम्मेदार है और जिसने मई की शुरुआत में सभी आपसी सहमति को ताक पर रखकर भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती एलएसी के पास की.

लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की छह जून को हुई पहले दौर की वार्ता में दोनों पक्षों ने गलवान से शुरुआत कर उन सभी बिंदुओं से बलों को धीरे-धीरे पीछे हटाने पर सहमति जताई थी, जहां दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध की स्थिति है. गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद हालांकि स्थिति बिगड़ गई और दोनों पक्षों ने एलएसी से लगे इलाकों में अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी.

posted by – arbind kumar mishra

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