हैदराबाद स्थित सीसीएमबी ने खोज निकाला कोरोना जांच का सस्ता और सटीक तरीका

हैदराबाद (Hydrabad) स्थित सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के शोधकर्ताओं ने कोरोना जांच (Coronavirus test) करने के लिए एक सटीक और सस्ता तरीका ढूंढ़ निकाला है. यह जांच का एक विश्वसनीय तरीका है जिससे परिणाम भी जल्दी मिलेगा और जांच का खर्च भी कम आयेगा. फिलहाल कोरोना जांच के तय किए गये प्रोटोकॉल के आधार पर RT-PCR (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पॉलिमरेज़ चेन रिएक्शन) का इस्तेमाल किया जाता है. जो काफी समय भी लेता और महंगा भी है. जांच की नयी विधि में भी RT-PCR का इस्तेमाल होता है, लेकिन इसमें सूखे स्वाब के साथ, आरएनए अलगाव चरण को दरकिनार किया जाता है, जिससे कम समय और कम खर्च में टेस्ट हो जाता है.

By Panchayatnama | June 7, 2020 2:45 PM

हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के शोधकर्ताओं ने कोरोना जांच करने के लिए एक सटीक और सस्ता तरीका ढूंढ़ निकाला है. यह जांच का एक विश्वसनीय तरीका है जिससे परिणाम भी जल्दी मिलेगा और जांच का खर्च भी कम आयेगा. फिलहाल कोरोना जांच के तय किए गये प्रोटोकॉल के आधार पर RT-PCR (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पॉलिमरेज़ चेन रिएक्शन) का इस्तेमाल किया जाता है. जो काफी समय भी लेता और महंगा भी है. जांच की नयी विधि में भी RT-PCR का इस्तेमाल होता है, लेकिन इसमें सूखे स्वाब के साथ, आरएनए अलगाव चरण को दरकिनार किया जाता है, जिससे कम समय और कम खर्च में टेस्ट हो जाता है.

सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी ने कोरोना जांच के लिए एक अलग पद्धति का भी सुझाव दिया है, जो वर्तमान में हो रहे कोरोना जांच से बेहतर परिणाम देता है. इस विधि द्वारा जांच किए गये परिणाम बायोरेक्सिव और मेडरिक्स प्रिप्रिंट सर्वर में पोस्ट किए गए हैं. अभी इसकी समीक्षा की जा रही है. दरअसल सामान्य कोरोना जांच में किसी व्यक्ति से एकत्र किए गए नाक के स्वाब को वायरल ट्रांसपोर्ट माध्यम (वीटीएम) में रखा जाता है. इसमें से तरल का एक हिस्सा लिया जाता है, वायरल आरएनए को निकाला जाता है और आरटी-पीसीआर परीक्षण किया जाता है. यह आरएनए को अलग करने का कदम है जो समय लेता है और महंगा होता है, इसलिए नये तरीके की खोज का तरीका विकसित किया गया है.

सीसीएमबी के अधिकारी के मुताबिक वीटीएम में नाक के स्वाब रखने के बजाय, उन्हें बर्फ से संरक्षित ट्रिस-ईडीटीए (टीई) बफर घोल में डाल दिया जाता है. सूखे स्वाब में वायरस 4 डिग्री [बर्फ के तापमान] पर कई दिनों तक रह सकता है. लंब समय तक रखने के लिए इसे माइनस 80 डिग्री में रखा जा सकता है. इसलिए सूखा स्वाब VTM से बहुत अधिक उपयुक्त है. इस विधि में अगर आवश्यक हो तो परीक्षण में देरी भी होने से दिकक्त नहीं आती है. साथ ही उन्होंने बताते हैं कि ड्राई स्वैब को हैंडल करना और ट्रांसपोर्ट करना ज्यादा सुरक्षित और सुविधाजनक है.

Posted by: Pawan Singh

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