कांग्रेस में हो सकती है बड़ी टूट ! गृह मंत्री अमित शाह ने दिए संकेत

amit shah, amit shah news, amit shah rahul gandhi, emergency in india, amit shah congress : गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस में बड़ी टूट होने का संकेत दिया है. शाह ने कहा है कि कांग्रेस में बड़े-बड़े नेता घुटन महसूस कर रहे हैं. शाह ने यह संकेत ऐसे समय में दिया है, जब पार्टी के भीतर राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की जा रही है.

By Prabhat Khabar Print Desk | June 25, 2020 12:48 PM

नयी दिल्ली : गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस में बड़ी टूट होने का संकेत दिया है. शाह ने कहा है कि कांग्रेस में बड़े-बड़े नेता घुटन महसूस कर रहे हैं. शाह ने यह संकेत ऐसे समय में दिया है, जब पार्टी के भीतर राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की जा रही है.

केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह ने आपातकाल के 45वीं बरसी पर ट्वीट कर कहा कि सत्ता के लालची परिवार ने रातों रात पूरे देश तको जेल खाना बना दिया. शाह ने कहा कि पिछले दिनों सीड्बलूसी की बैठक हुई, जिसमें कई नेताओं को बोलने नहीं दिया गया. कांग्रेस में लोग अब घुटन महसूस कर रहे हैं.

शाह ने आगे कहा कि भारत की एक प्रमुख विपक्षी पार्टी होने के नाते कांग्रेस को खुद से यह पूछने की जरूरत है कि आखिर आज भी उसकी मानसिकता आपातकाल वाली क्यों है? पिछले दिनों पार्टी के प्रवक्ता संजय झा के हटाने पर इशारा करते हुअ अमित शाह ने कहा कि क्यों एक परिवार से बाहर के सदस्य अपनी बात नहीं रख सकते. कांग्रेस के नेता क्यों आज अपनी ही पार्टी में घुटन महसूस कर रहे हैं. यही हाल रहा तो जनता से कांग्रेस की दूरी बढ़ती ही चली जाएगी.

कांग्रेस ने किया पलटवार- कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शाह के ट्वीट पर पलटवार किया है. सुरजेवाला ने कहा कि इस तरह के बयान देने वाले को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. सुरजेवाला ने ट्वीट कर लिखा कि बीजेपी ने एक व्यक्ति को बढ़ाने के लिए लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और संजय जोशी जैसे कई नेताओं को साइडलाइन कर दिया.

इससे पहले, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने देश पर थोपे गए आपातकाल के 45 साल पूरे होने पर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और इसे उसकी अधिनयाकवादी मानसिकता का परिचायक करार दिया. नड्डा ने एक ट्वीट में कहा, ‘भारत उन सभी महानुभावों को नमन करता है, जिन्होंने भीषण यातनाएं सहने के बाद भी आपातकाल का जमकर विरोध किया। ये हमारे सत्याग्रहियों का तप ही था जिससे भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों ने एक अधनियाकवादी मानसिकता पर सफलतापूर्वक जीत प्राप्त की.’

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21 महीने का आपातकाल- 25 जून 1975 को तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने देश में आंतरिक आपातकाल लगा दिया. आपातकाल के लागू होते ही देश में विपक्ष के बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया, जबकि मीडिया पर पाबंदी लगा दी गई. 21 महीनो तक देश में आम आदमा के जीने का अधिकार तक छीन लिया गया. हालांकि बाद में इंदिरा ने देश में यह काला कानून खत्म कर चुनाव कराने की घोषणा की थी.

क्यों लगा था आपातकाल– आपातकाल के पीछे कई वजहें बताई जाती है, जिसमें सबसे अहम है 12 जून 1975 को आए इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक फैसला. 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर छह साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया. कोर्ट के फैसले के बाद इंदिरा गांधी पर विपक्ष ने इस्तीफे का दबाव बनाया, लेकिन उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया. बि बताया जाता है कि इसी दौरान इंदिरा के करीबी और पश्चिम बंगाल के सीएम सिद्धार्थ शंकर रे ने आपातकाल लगाने की सलाह दे डाली. आपातकाल के जरिए इंदिरा गांधी ने उसी विरोध को शांत करने की कोशिश की.

Posted By : Avinish Kumar Mishra

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