फेमस राइटर और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता विनोद शुक्ला का निधन, पीएम मोदी ने जताया दुख
Vinod Kumar Shukla Passed Away: मशहूर हिंदी लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता विनोद कुमार शुक्ला का 89 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने आज शाम करीब 04.58 बजे AIIMS रायपुर में आखिरी सांस ली. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया.
Vinod Kumar Shukla Passed Away: भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का मंगलवार शाम निधन हो गया. वह 89 वर्ष के थे. उनके पुत्र शाश्वत शुक्ल ने यह जानकारी दी. शाश्वत शुक्ल ने पीटीआई से बातचीत में बताया, सांस लेने में तकलीफ होने के बाद शुक्ल को इस महीने की दो तारीख को रायपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था. आज शाम 4.48 बजे में उन्होंने अंतिम सांस ली. शुक्ल के परिवार में उनकी पत्नी, बेटा शाश्वत और एक बेटी है.
पीएम मोदी ने ट्वीट कर निधन पर जताया दुख
विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है. पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट डाला और लिखा, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे. शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति. प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने 1 नवंबर को विनोद कुमार शुक्ला से बात की थी और उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछा था.
अक्टूबर में ही चल रहे थे बीमार
शाश्वत शुक्ल ने बताया कि अक्टूबर माह में सांस लेने में हो रही तकलीफ के बाद शुक्ल को रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तबीयत में सुधार होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी तब से वह घर पर ही इलाज करा रहे थे. शाश्वत ने बताया कि दो दिसंबर को अचानक तबीयत अधिक बिगड़ने के बाद उन्हें रायपुर एम्स ले जाया गया जहां उनका इलाज किया जा रहा था.
21 नवंबर को विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार से किया गया था सम्मानित
‘नौकर की कमीज’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ और ‘एक चुप्पी जगह’ जैसे उपन्यासों के रचयिता विनोद कुमार शुक्ल को 59 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 21 नवंबर को शुक्ल को उनके रायपुर स्थित निवास पर आयोजित एक समारोह में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया.
धीमे बोल, साहित्य की दुनिया में आवाज बहुत दूर तक थी
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में एक जनवरी 1937 को जन्मे विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के ऐसे रचनाकार थे जो बहुत धीमे बोलते थे, लेकिन साहित्य की दुनिया में उनकी आवाज बहुत दूर तक सुनाई देती थी. उन्होंने मध्यमवर्गीय, साधारण और लगभग अनदेखे रह जाने वाले जीवन को शब्द देते हुए हिंदी में एक बिल्कुल अलग तरह की संवेदनशील और जादुई दुनिया रची है.
पहली कविता संग्रह 1971 में आया था
उनकी पहली कविता संग्रह ‘लगभग जय हिन्द’ 1971 में आया और वहीं से उनकी विशिष्ट भाषिक बनावट, चुप्पी और भीतर तक उतरती कोमल संवेदनाएं हिंदी कविता में दर्ज होने लगीं. उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज़’ (1979) ने हिंदी कथा-साहित्य में एक नया मोड़ दिया, जिस पर मणि कौल ने फिल्म भी बनाई है.
साहित्य अकादमी सहित कई पुरस्कारों से हो चुके थे सम्मानित
शुक्ल को साहित्य अकादमी पुरस्कार, गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रजा पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान और 2023 में पैन-नाबोकोव जैसे पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था.
