I2U2 Summit: I2U2 का पहला शिखर सम्मेलन आज, पीएम मोदी लेंगे हिस्सा, जानिए क्यों बढ़ी है चीन की चिंता

I2U2 Summit: आई2यू2 शिखर सम्मेलन (I2U2 summit) को पश्चिम एशिया का क्वाड (Quad) बताया जा रहा है. इस समूह में 'आई 2' से मतलब इंडिया और इजरायल हैं. जबकि, 'यू 2' का मतलब यूएसए और यूएई हैं.

By Prabhat Khabar Print Desk | July 14, 2022 2:48 PM

I2U2 Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 14 जुलाई को आई2यू2 (I2U2) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. डिजिटल माध्यम से आयोजित होने वाली I2U2 की यह पहली बैठक है. इस बैठक में पीएम मोदी के अलावा इजरायल के प्रधानमंत्री यायर लापिड, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन भी हिस्सा ले रहे हैं. वहीं I2U2 समिट को लेकर चीन के कान खड़े हो गए हैं. क्वाड के बाद यह दूसरा मौका है जब चीन की चिंता बढ़ी है.

क्या है आई2यू2 (I2U2): आई2यू2 शिखर सम्मेलन (I2U2 summit) को पश्चिम एशिया का क्वाड (Quad) बताया जा रहा है. इस समूह में ‘आई 2’ से मतलब इंडिया और इजरायल हैं. जबकि, ‘यू 2’ का मतलब यूएसए और यूएई हैं. गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन फिलहाल इजरायल दौरे पर हैं, ऐसे में बाइडेन तेल अवीव से ही इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. पहले सम्मेलन में भारत, अमेरिका, इजरायल और यूएई खाद्य सुरक्षा संकट और आपसी सहयोग समेत कई और मुद्दों पर बातचीत करेंगे.

2021 में हुई थी I2U2 की पहली बैठक: बीते साल यानी साल 2021 में अक्टूबर को आई2यू2 देशों की पहली बैठक इजराइल में हुई थी. उस बैठक में चारों सदस्य देशों के विदेश मंत्री शामिल हुए थे. भारत की ओर से विदेश मंत्रा एस जयशंकर ने बैठक में हिस्सा लिया था. अब एक बार फिर साल 2022 में I2U2 की बैठक हो रही है. सबसे खास बात की इस बार की बैठक में सदस्य चारों देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हो रहे हैं. जिसमें रूस यूक्रेन युद्ध, कच्चे तेल समेत कई और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बात हो सकती है.

I2U2 में बाजी पलटने वाली साबित हो सकती है भारत की भागीदारी: वहीं, बैठक को लेकर इजरायल के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ने कहा है कि, आई2यू2 समूह में भारत की भागीदारी बाजी पलटने वाली साबित हो सकती है. इजराइल के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मेजर जनरल याकोव एमिडरोर ने पीटीआई-भाषा से कहा कि भारत नए देशों को इसमें शामिल करके अब्राहम समझौतों के दायरे को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है. उन्होंने कहा, ”भारत के पास यह कहकर अन्य देशों को समझाने की क्षमता है कि यह दुनिया के हित में है.

भाषा इनपुट के साथ

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