दुबई की नौकरी छोड़ बीमार मां से मिलने पहुंचा बेटा, कोरेंटिन हुआ तो अंतिम दर्शन भी नहीं हुआ नसीब

जीवन हमेशा आपकी योजना के अनुसार नहीं चलता. दुबई से नौकरी छोड़कर अपनी बीमार मां के साथ वक्त गुजारने आए आमिर खान के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. दुबई से दिल्ली लौटने के बाद खान को अनिवार्य रूप से 14 दिन के पृथकवास मे भेजा गया. और, इससे पहले कि वह घर अपनी मां के पास जा पाते, उन्हें अपनी मां के हमेशा के लिए चले जाने की खबर मिली .

By Prabhat Khabar Print Desk | May 25, 2020 9:31 PM

नयी दिल्ली : जीवन हमेशा आपकी योजना के अनुसार नहीं चलता. दुबई से नौकरी छोड़कर अपनी बीमार मां के साथ वक्त गुजारने आए आमिर खान के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. दुबई से दिल्ली लौटने के बाद खान को अनिवार्य रूप से 14 दिन के पृथकवास मे भेजा गया और, इससे पहले कि वह घर अपनी मां के पास जा पाते, उन्हें अपनी मां के हमेशा के लिए चले जाने की खबर मिली

सिर्फ इतना ही नहीं शनिवार को मां की मौत की खबर मिलने के बावजूद खान रविवार को उनके अंतिम संस्कार में रामपुर नहीं पहुंच सके. हालांकि, खान की पृथक-वास अवधि जल्दी ही समाप्त होने वाली है, लेकिन उन्हें घर जाने की इजाजत नहीं दी गई. कुछ छह साल पहले काम के सिलसिले में दुबई गए 30 वर्षीय खान ने बताया कि कैसे उनकी किस्मत ने उनका जरा भी साथ नहीं दिया.

उन्होंने को बताया कि वह 13 मई को देश लौटे. उन्हें शनिवार को मां की मृत्यु की सूचना मिली और रविवार को सरकार ने विदेश से लौट रहे लोगों के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए. संशोधित दिशा-निर्देश में विदेश लौटने वाले व्यक्ति के लिए 14 दिन के पृथक-वास को दो हिस्सों मे बाट दिया गया है. पहले सात दिन उसे सशुल्क संस्थागत पृथक-वास में रहना होगा और दूसरे सात दिन उसे अपने घर मे ही सभी से अलग रहते हुए अपने सेहत की निगरानी करनी होगी.

सरकार ने कुछ विशेष परिस्थितियों में 14 दिन तक घर में ही पृथक-वास में रहने की अनुमति देने का भी प्रावधान किया है. खान ने कहा, ‘‘मैंने अधिकारियों को समाचार दिखाय…. कि दिशा-निर्देशों में संशोधन हो गया है और मुझे जाने की इजाजत दी जाए, मैं सारे एहतियात रखूंगा. मैं जांच कराने को भी तैयार था, लेकिन कुछ नहीं हुआ.”

खान ने पहले सोचा था कि वह मार्च में ही भारत आ जाएंगे और अपनी मां के साथ एक महीना रहेंगे. दिल्ली के एक होटल में पृथक-वास में रह रहे आमिर ने फोन पर हुई बातचीत में कहा, ‘‘हम वायरस के साथ जीना सीख जाएंगे, लेकिन इससे जो भावनात्मक हानि हो रही है, वह हमेशा हमारे साथ रहेगी. मैंने पिछले दो महीने सिर्फ यह सोचते हुए गुजारे कि मुझे अपनी मां से मिलना है. मैंने सबकुछ दांव पर लगा दिया.” लेकिन मुश्किलें राहें रोके खड़ी थीं. और अंतत: खान अंतिम बार अपनी मां का चेहरा भी नहीं देख सके.

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