Defense: अब युद्ध हथियार से नहीं तकनीक से लड़े और जीते जाएंगे

बुधवार को दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में मानव रहित यान(यूएवी) और मानव रहित हवाई रोधी प्रणाली(सी-यूएएस) के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों से आयात किए जा रहे महत्वपूर्ण उपकरण के स्वदेशीकरण पर आयोजित प्रदर्शनी और कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से सेना को यह सबक मिला कि इलाके की सुरक्षा के लिए स्वदेशी तकनीक से बने यूएएस सिस्टम क्यों जरूरी है. देश की सुरक्षा के लिए इस क्षेत्र में निवेश और निर्माण को बढ़ावा देना होगा.

By Anjani Kumar Singh | July 16, 2025 6:56 PM

Defense: हाल में हुए वैश्विक स्तर पर युद्ध के दौरान ड्रोन के महत्व का पता चला है. अब युद्ध ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए लड़े जा रहे हैं और यह तकनीक युद्ध की रूपरेखा तय करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. परंपरागत तरीके से युद्ध लड़ने का समय बीत चुका है और अब तकनीक, युद्ध में हार-जीत तय करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर में भी व्यापक पैमाने पर ड्रोन का प्रयोग किया गया. यही नहीं भारत की ओर से पाकिस्तानी ड्रोन को खत्म करने में एयर डिफेंस सिस्टम ने अहम रोल निभाया. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कल के हथियारों से आज की जंग नहीं जीती जा सकती है. हमें आने वाले कल की तकनीक से आज की जंग लड़नी होगी.


बुधवार को दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में मानव रहित यान(यूएवी) और मानव रहित हवाई रोधी प्रणाली(सी-यूएएस) के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों से आयात किए जा रहे महत्वपूर्ण उपकरण के स्वदेशीकरण पर आयोजित प्रदर्शनी और कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से सेना को यह सबक मिला कि इलाके की सुरक्षा के लिए स्वदेशी तकनीक से बने यूएएस सिस्टम क्यों जरूरी है. देश की सुरक्षा के लिए इस क्षेत्र में निवेश और निर्माण को बढ़ावा देना होगा. 


सैन्य क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर होने के लिए देश को ड्रोन और सी-यूएएस के क्षेत्र में आधुनिक स्वदेशी तकनीक का विकास करना होगा. यूएवी और सी-यूएएस के स्वदेशीकरण’ विषय पर थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर ज्वाइंट वारफेयर स्टडीज’ के सहयोग से एकीकृत रक्षा कार्मिक मुख्यालय (एचक्यू-आईडीएस) की मेजबानी में यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है.


ड्रोन और वायु रक्षा प्रणाली का आधुनिक होना समय की मांग

सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि आने वाले समय में युद्ध में ड्रोन का प्रयोग और बढ़ने की संभावना है. ड्रोन का समय से साथ आधुनिकीकरण हो रहा है और इस मामले में भारत पीछे नहीं रह सकता है. देश को आधुनिक ड्रोन के लिए स्वदेशी तकनीक और उपकरण पर ध्यान देना होगा. क्योंकि संकट के समय विदेशी तकनीक पर निर्भरता परेशानी का सबब बन सकती है. 


उन्होने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने बिना हथियार वाले ड्रोन और लाइटिंग म्युनिशन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया था. लेकिन कोई भी पाकिस्तानी ड्रोन भारतीय सैन्य या नागरिक बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाने में सफल नहीं हो पाया. अधिकांश पाकिस्तानी ड्रोन को भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने निष्क्रिय कर दिया. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय का युद्ध हथियार से नहीं तकनीक से ही जीता जा सकता है. ऐसे में भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए स्वदेशी तकनीकी क्षमता को विकसित करना होगा.